हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार,



धरती पर पाप करने वाले प्रत्येक मनुष्य को



मृत्यु के बाद दंड भोगने के लिए नरक भेजा जाता है.



प्रेमानंद महाराज ने पाप करने वालों को आगाह करते हुए कहा है कि



धरती पर मिलने वाला दंड केवल ब्याज है. मूल तो नरक में ही चुकाना होगा.



उन्होंने बताया है कि इंसान के छोटे से छोटे पाप का हिसाब होना तय है.



प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वालों को पहले खुद प्रकृति दंड देती है.



इसके बाद उन्हें नरक में पाप भोगने पड़ते हैं.



गौसेवा, देव सेवा, गुरु सेवा, संत सेवा और जन सेवा आदि के कार्य करने की बजाए



शास्त्रों का मजाक उड़ाने वालों को भी नरक के दुख भोगने पड़ते हैं.



गंगा स्नान करके आप धर्म विरुद्ध आचरण का पाप कम नहीं कर सकते हैं.