महाराष्ट्र की एलोरा गुफा की 16 नंबर की गुफा में 300 फीट लंबा, 175 फीट चौड़ा और 100 फीट ऊंचा कैलाश मंदिर है.
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महाराष्ट्र की एलोरा गुफा की 16 नंबर की गुफा में 300 फीट लंबा, 175 फीट चौड़ा और 100 फीट ऊंचा कैलाश मंदिर है.



यह कैलाश मंदिर चट्टान काटकर बनाया गया है. राष्ट्रकूट राजवंश के अभिलेखों के मुताबिक, कैलाश मंदिर को राजा कृष्ण प्रथम ने बनवाया था. निर्माण में कई साल लगे
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यह कैलाश मंदिर चट्टान काटकर बनाया गया है. राष्ट्रकूट राजवंश के अभिलेखों के मुताबिक, कैलाश मंदिर को राजा कृष्ण प्रथम ने बनवाया था. निर्माण में कई साल लगे



पहले इस मंदिर को कृष्णेश्वर नाम से जाना जाता था. बाद में पूरा मंदिर सफेद रंग का होने की वजह से कैलाश मंदिर कहा जाने लगा. इसके निर्माण में किसी मशीनरी का उपयोग नहीं हुआ है
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पहले इस मंदिर को कृष्णेश्वर नाम से जाना जाता था. बाद में पूरा मंदिर सफेद रंग का होने की वजह से कैलाश मंदिर कहा जाने लगा. इसके निर्माण में किसी मशीनरी का उपयोग नहीं हुआ है



कुछ लोक कथाओं के मुताबिक, इस मंदिर की एक कहानी यह भी है कि एक बार अलाजपुर राज्य के राजा एलु बहुत ज्यादा बीमार पड़ गए थे
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कुछ लोक कथाओं के मुताबिक, इस मंदिर की एक कहानी यह भी है कि एक बार अलाजपुर राज्य के राजा एलु बहुत ज्यादा बीमार पड़ गए थे



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राजा एलु की पत्नी ने उनकी सलामती के लिए जंगल में घृष्णेश्वर जी की पूजा-अर्चना की थी



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रानी ने प्रार्थना करते हुए कहा, यदि राजा ठीक हो गए तो वह शिव जी का एक मंदिर बनवायेंगी



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साथ ही रानी ने यह मन्नत भी मांगी की जब तक वह उस शिव मंदिर का शिखर नहीं देख लेंगी तब तक वह अन्न का एक दाना नहीं खाएंगी



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कुछ वक्त बाद राजा ठीक हो गए तो रानी की प्रार्थना और मन्नत के अनुसार मंदिर बनवाने का काम शुरु हो गया



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राजा ने कारीगरों को आदेश दिया कि मंदिर का काम ऊपर से नीचे की तरफ किया जाए ताकि रानी को ज्यादा वक्त तक भूखा न रहना पड़े



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मंदिर पूरी तरह से तैयार होने के बाद इसका नाम मणिकेश्वर रखा गया और आसपास एक शहर भी बसाया गया जिसका नाम एलापुर रखा गया