मुगल बादशाह साम्राज्य चलाने के लिए दरबार लगाते थे

उनका दरबार मुगल साम्राज्य के शक्ति का केंद्र था

जहां से वह हुकूमत की बागडोर संभालते थे

तख्त को एक स्तंभ के रूप में देखा जाता था

मुगल दरबार में किसी की हैसियत इस बात पर निर्धारित होती थी कि...

वह शासक के कितना पास और दूर बैठा है

दरबार में दिया गया स्थान बादशाह की नजर में उसकी महत्ता का प्रतीक था

बादशाह के तख्त पर बैठने के बाद कोई भी अपनी जगह से कहीं और नहीं जाता था

दरबार-ए-अकबरी में अबुल फज्ल लिखते हैं कि जब भी अकबर दरबार लगाते तो ढोल पीटा जाता था

इसके साथ ही साथ अल्लाह का गुणगान भी होता था