शहद को इकट्ठा करने के लिए मधुमक्खी फूलों का रस चूसती है

इनके शरीर में खास तरह का एंजाइम ग्लूकोज ऑक्सीडेज निकलता है

ये शहद में मिल जाता है और बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है

शहद के पूरे तैयार होने से इसमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड केमिकल बनता है

ये भी इसमें बैक्टीरिया को पहुंचने से रोकता है

असली शहद सालों-साल तक खराब नहीं होता

शहद की क्वालिटी कई चीजों पर निर्भर करती है

जैसे मधुमक्खी की प्रजाति, जिस फूल से रस लिया है उसकी प्रजाति

सामान्य तौर पर शहद में 80 फीसदी शुगर 18 फीसदी पानी होता है

इसके कारण शहद में नमी रहती है जो इसे खराब नहीं होने देती.