भारत के मदरसों में इस्लामिक शिक्षा दी जाती है

मदरसे चलाने में अन्य स्कूलों की तरह ही खर्च होता है

मदरसों को दो तरह के लोगों पैसे देते हैं

कुछ पैसे सामाजिक संस्थानों से आते हैं

कुछ मदरसों की फंडिंग जकात और दान के पैसों से होती है

साहब-ए-सरवत यानी पैसे वाले हर मुस्लिम व्यक्ति पर अपनी सालभर की बचत का 2.5 प्रतिशत हिस्सा जकात देना होता है

जो मुसलमान इसे फॉलो करते हैं वो मदरसे को पैसा या संपत्ति दान में देते हैं

दान के इन पैसों का हिस्सा मदरसों को भी दिया जाता है

मदरसों से कई बाद बच्चे मुस्लिम धर्म के प्रचार भी बनते हैं

दारुल उलूम देबबंद भारत का सबसे बड़ा मदरसा है