प्रयागराज को तीर्थराज के नाम से जाना जाता है.



तीर्थराज का अर्थ है तीर्थों के राजा.



प्रयागराज को सभी तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है.



प्रयागराज का वर्णन ब्रह्म पुराण में भी किया गया.



सभी तीर्थों की श्रेष्ठता की तुलना में एक पलड़े पर प्रयागराज को रखा गया,



वहीं दूसरे पलड़े समस्त तीर्थ स्थानों को रखा गया.



जिसके परिणाम स्वरुप प्रयागराज का पलड़ा भारी रहा.



प्रयागराज की श्रेष्ठता का प्रतीक अनेक पुराणों और ग्रंथों में मिलता है.



प्रयागराज संगम स्थल पर पवित्र तीनों नदियों का संगम होता है.



गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम के कारण इस स्थान केो त्रिवेणी संगम भी कहते हैं.