जगन्नाथ जी के दर्शन मात्र से व्यक्ति जन्म-मरण
के बंधन से मुक्त हो जाता है.


जगन्नाथ मंदिर की परंपराएं अपने आप में अनूठी हैं.



भगवान को मीठे के स्थान पर कड़वा नीम क्यों चढ़ाया जाता है.



इस विशेष परंपरा के पीछे की पौराणिक कहानी है. जिसमें
एक वृद्ध महिला भगवान को नीम का भोग अर्पित करती हैं.


दरअसल वो ये सोचकर कड़वे नीम की पत्तियां भोग में अर्पित
करती हैं क्योंकि गरिष्ठ भोजन खाकर भगवान का पेट दर्द हो सकता है.


लेकिन जब वो नीम का चूर्ण बनाकर मंदिर पहुंची तो सैनिकों
ने अंदर जाने से मना कर दिया और उन्हें अपमानिक किया.


जगन्नाथ जी अपने भक्त की ऐसी दशा देखकर रूष्ट हो गए और
राजा को स्वप्न में कहा कि महिला से माफी मांगे.


साथ ही नीम का चूर्ण भोग में अर्पित करें. राजा ने ऐसा ही किया.
तब से भगवान को नीम की पत्तियों को भोग लगाया जाता है.