माता पार्वती के तप से गणेश का जन्म हुआ और शिव ने उन्हें गणों का अधिपति बनाया.



एक बार देवताओं के बीच विवाद हुआ कि सबसे श्रेष्ठ कौन है.



शिव बोले जो पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा सबसे पहले करेगा वही जगत में पूजा जाएगा.



सभी देवता अपने वाहन उठाकर ब्रह्मांड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े.



लेकिन गणेश जी ने शिव-पार्वती की तीन परिक्रमा कर ली.



शिवजी ने गणेश को विजयी घोषित कर प्रथम पूज्य का वरदान दिया.



शिव बोले- यह शास्त्र प्रमाणित है कि संपूर्ण ब्रह्माण्ड माता-पिता के चरणों में है.



देवताओं ने भी इस बात को स्वीकार किया और गणेश को प्रणाम किया.



इस तरह से भगगाव गणेश प्रथम पूज्यनीय देवता बने.