पिछले जन्म में तुलसी राक्षस जलंधर की पत्नी वृंदा थी.

जलंधर ने अपनी अक्रामकता से उत्पात मचा दिया था.

जलंधर की वीरता का कारण था वृंदा का पतिव्रत धर्म.

वृंदा का पतिव्रत धर्म टूटने के बाद ही जलंधर की मृत्यु संभव थी.

विष्णु ने योगमाया से एक मृत शरीर को वृंदा के घर पहुंचा दिया.

अपना पति समझ वृंदा ने उस शरीर का आलिंगन कर लिया.

जिससे उसका सतीत्व नष्ट हो गया और जलंधर युद्ध में मारा गया.

वृंदा पति के साथ सती हो गई और विष्णु को पत्थर बनने का श्राम दिया.

यही शालीग्राम पत्थर है, जिसे विष्णु का प्रतीक माना जाता है.

जिस स्थान पर वृंदा सती हुई वहां तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ.

विष्णु ने कहा हे वृंदा, तुम तुलसी बनकर मेरे साथ रहोगी.

इसलिए विष्णु को तुलसी प्रिय है और इसे विष्णुप्रिया भी कहते हैं.