श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को फल की चिंता किए बिना कर्म करना चाहिए.



सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-पराजय को समान भाव में स्वीकार करें.



सांसारिक वस्तुओं और रिश्तों के प्रति लगाव नहीं रखनी चाहिए.



ज्ञान के मार्ग पर चलकर भगवान के प्रति सच्ची भक्ति करनी चाहिए.



दूसरों की सेवा करना ही सच्चा धर्म है.



मन को वश में रखना बेहद जरूरी है.



अहंकार सभी बुराइयों की जड़ है, इसलिए इसका त्याग करना चाहिए.



व्यक्ति को सदैव धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए.



मन की शांति और एकाग्रता के लिए ध्यान करें.



हर परिस्थिति में भगवान पर विश्वास करें.