रमजान इस्लाम का सबसे पवित्र और बरकत वाला महीना है.

रमजान में मुसलमान रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं.

रोजा रखने से पहले सहरी और खोलने के लिए इफ्तार किया जाता है.

रोजा रखने से पहले सहरी के दौरान नियत की जाती है.

वहीं रोजे खोलने के लिए यानी इफ्तार के समय दुआ पढ़ी जाती है.

रोजा खोलने के लिए इस दुआ का पढ़ना जरूरी माना जाता है.

अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु,व-बिका आमन्तु,व-अलयका तवक्कालतू, व अला रिज़किका अफतरतू,

अर्थ है, या अल्लाह! मैंने तेरे लिए रोजा रखा, ईमान लाया, भरोसा किया और रोजा खोला.