रमजान में रोजा रखना हर मुसलमान पर फर्ज है.

लेकिन रोजा का असली मतलब सिर्फ भूखा रहना मात्र नहीं है

और ना ही रमजान में सिर्फ भूखा रहने से खुदा खुश होते हैं.

रोजा सिर्फ भूखा रहना नहीं बल्कि ख्वाहिशों पर नियंत्रण रखना भी है.

रोजा सिर्फ जुबान का नहीं आंख, कान, नाक, हाथ और जिस्म के सभी हिस्से का है.

खाली पेट भूखा रहने के साथ रोजा मन और आत्मा की सफाई भी सिखाता है.

रोजा तभी पूरा होता है जब इंसान अपनी सोच, नीयत और कामों को भी पाक रखे.

सच्चा रोजेदार वही है जो रमजान के बाद भी अच्छे कर्म और आदतों को जारी रखे.