प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना का सबसे
उत्तम व्रत है. जो हर महीने 2 बार आता है.


हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि
पर प्रदोष व्रत किया जाता है, इसमें शाम को शिव पूजा होती है.


प्रदोष व्रत शुरू करने वालों को 11 या 26 व्रत करने
का संकल्प लेना शुभ होता है.


इसके बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए. सावन माह
से प्रदोष व्रत की शुरुआत करना शुभ होता है.


प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन
में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं.


मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की
सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.


प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से 45
मिनट पहले और 45 मिनट के बाद का समय होता है.


प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र भोलेनाथ को अर्पित करने
वालों की सारे परेशानियों का अंत होता है, ऐसी मान्यता है.