पूर्व जन्म में तुलसी का नाम वृंदा था, जो विष्णुजी की परम भक्त थी.

विष्णु जी के आशीर्वाद से वृंदा का जन्म तुलसी के रूप में हुआ.

विष्णु जी ने स्वयं कहा है कि, तुलसी उन्हें प्रिय रहेगी.

श्रीकृष्ण का जन्म भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में हुआ था.

इसलिए विष्णुजी की तरह श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी चढ़ाई जाती है.

तुलसी दल अर्पित किए बिना या तुलसी जल छिड़के बिना कृष्ण भोग ग्रहण नहीं करते.

पद्म और स्कंद पुराण में भी भगवान कृष्ण को तुलसी चढ़ाना शुभ बताया गया है.

पुष्पाणां पत्निर्माल्यं तुलसी दलमेककम्। श्रीकृष्णं प्रीयते सम्यक् तुलसीदलमेककम्॥

अर्थ है- एक तुलसी दल भी भगवान कृष्ण को अर्पित करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं.