संत गुरु रविदास भारत के महान संतों में से एक हैं,



गुरू रवि दास जी ने अपना जीवन समाज सुधार कार्य के लिए समर्पित कर दिया.



हर साल माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन रविदास जयंती मनाई जाती है.



आइए आपको गुरु रविदास के ऐसे 10 दोहे बताते हैं, जो आपकी जिंदगी बदल सकते हैं.



जा देखे घिन उपजै, नरक कुंड में बास, प्रेम भगति सों ऊधरे, प्रगटत जन रैदास



मन चंगा तो कठौती में गंगा



हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस, ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास



कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा, वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा



ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण



करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस, कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास



मन ही पूजा मन ही धूप, मन ही सेऊं सहज स्वरूप



रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच, नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच



रि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास



हिंदू तुरक नहीं, कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा.