हम जो भी अच्छा-बुरा कर्म करते हैं, उसका
फल कर्म अनुसार जरुर मिलता है.


ये कर्म फल सिर्फ इस जन्म में नहीं बल्कि अगले कई
जन्मों तक इसका असर व्यक्ति पर देखने को मिलता है.


वैसे तो व्यक्ति अपने कर्म का फल भोगता है लेकिन क्या आप
जानते हैं कई मायनों में दूसरों के कर्म का फल भी उसे प्रभावित करता है.


मनुस्मृति के अनुसार कर्म का फल व्यक्तिगत होता है लेकिन
कर्म का असर दूसरों तक भी पहुंच सकता है.


मनुस्मृति के श्लोक अनुसार किसी दूसरों के पाप-पुण्य का कुछ
भाग्य अन्य लोगों को भी भोगना पड़ता है.


श्लोक अनुसार -यदि न आत्मनि पुत्रेषु न चेत् पुत्रेषु नप्तृषु ।
न त्वेव तु कृतोऽधर्मः कर्तुर्भवति निष्फलः ॥


जैसे माता पिता के कर्मों का फल उनकी संतानों को मिलता है.



शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध, यज्ञ, दान, प्रार्थना, संकल्प
शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध, यज्ञ, दान, प्रार्थना, संकल्प