आचार्य चाणक्य जो एक महान राजनीतिज्ञ थे



उन्होंने नीति में ऐसे व्यक्ति का जिक्र किया है, जो पढ़ा-लिखा होने के बाद भी मूर्ख रहता है.



आइए जानते हैं, कि आचार्य ने अपने शब्दों में किस तरह के व्यक्ति का जिक्र किया है.



जो व्यक्ति शास्त्र ज्ञान होने पर भी लोक व्यवहार नहीं पहचान सकता, वह शिक्षित होने पर भी मूर्ख ही रहता है.



चाणक्य कहते हैं, कि ऐसा व्यक्ति अपने साथ-साथ दूसरों का भी विनाश करता है.



जो व्यक्ति लोक चरित्रों को नहीं जानता



उसके साथ अच्छा व्यवहार करना मूर्खता है.



चाणक्य कहते हैं, कि शास्त्र ज्ञान से चतुराई आती है और आध्यात्मिक लोगों को समझने की शक्ति भी बढ़ती है.



ऐसा व्यक्ति लोक व्यवहार को समझता है और जीवन में हर तरह से उन्नति करता है.