यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक के खगोलविदों ने महत्वपूर्ण खोज की है.

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इस अध्ययन में पता चला कि बूढें हो रहे तारे अपने समीप परिक्रमा करने वाले ग्रहों को नष्ट कर रहे हैं.

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जब कोई तारा अपना हाइड्रोजन ईंधन खत्म करता है तो वह ठंडा होकर फैलता है, जो लाल दानव बन जाता है.

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अध्ययनकर्ताओं ने ऐसे 130 ग्रहों और उम्मीदवारों की पहचान की है, जो बूढ़े तारों के पास गए.

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जिसमें से 33 नए ग्रह उम्मीदवार पहले कभी दर्ज नहीं किए गए थे.

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धार्मिक रूप से यह वही चक्र है जिसे प्रलय या पुनर्जन्म का चक्र बताया गया है.

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जब पुरानी सृष्टि खत्म होकर एक नई शुरुआत करती है.

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बूढ़े तारे जब अपने ग्रहों को निगलते हैं तो यह ज्योतिष शास्त्र में इसका अलग अर्थ होता है.

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यह संकेत देता है कि, अंहकार, शक्ति या ऊर्जा जब सीमा को पार करती है, तो विनाश आरंभ हो जाता है.

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