नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति के शौचालय में बैठकर खाना खाने की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं. दावा है कि कोरोना के डर से गांव वालों ने बाहर से आए व्यक्ति को गांव में जगह नहीं दी. इसलिए वो शौचालय में रहने को मजबूर हुआ. शौचालय में बैठकर खाना खाने की वायरल तस्वीरें हैरान करने वाली थीं. दावे की पड़ताल शुरू की तो चौकाने वाली सच्चाई सामने आई.


क्या दावा किया गया जा रहा है?
सोशल मीडिया पर वायरल इन तस्वीरों को मध्य प्रदेश का बताया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि शौचालय को क्वॉरंटीन सेंटर बनाकर बाहर से आए व्यक्ति को रखा गया. व्यक्ति शौचालय में ही खाना भी खा रहा. एक वायरल तस्वीर पर बालक शौचालय लिखा है. इसके अलावा एक और तस्वीर में शौचालय की दीवार पर प्राथमिक शाला देवीपुरा बालक शौचालय लिखा था. साथ ही गांव की सरपंच का नाम मीराबाई शाक्यवार भी लिखा मिला.


एक और तस्वीर में मुंह पर मास्क लगाए तीन व्यक्ति और एक बच्चे के साथ में एक महिला खड़ी थी. साथ ही दीवार पर लिखा मिला यहां चार व्यक्ति 1 अप्रैल को आए 14 अप्रैल को इनके 14 दिन पूरे हो जाएंगे.


इस तस्वीरों की हकीकत क्या है?
इन तस्वीरों से हमें जगह का पता चल गया. एबीपी टीम को पड़ताल में पता चला कि ये वायरल तस्वीरें गुना के राघोगढ़ तहसील के पास देवरीपुर गांव की हैं. पड़ताल में हमारी टीम तस्वीर में दिख रही जगह पर पहुंची. हमें दीवार पर लिखी लाइनें दिखाई दीं. साथ ही दरवाजे के पास 4 लोग दिखे. कमरे के अंदर खाने-पीने का सामान, बर्तन और अनाज की बोरियां रखी मिलीं. वहीं पर हमें तस्वीर में पीड़ित बताए गए व्यक्ति भी मिले जिनका नाम भैयालाल है. भैयालाल ने कहा, "हम वहीं रह रहे थे शौचालय में. वहीं रोटी खा रहा था. अभी तक सामान वहीं रखा है."


पड़ताल में हमें भैयालाल के क्वॉरंटीन सेंटर के पास कुछ स्वास्थ्य कर्मी और स्थानीय लोग बात करते भी मिले. स्वास्थ्य कर्मी ने कहा, "एक चीज है. हम लोगों को सब पता होता है. आप लोग एक साथ ये चीजें नहीं बोल सकते सर की हमारी आंगनबाड़ी खाना खाने चली गई. मास्टर जी के पास स्कूल की चाभी थी नहीं थी. सर उसका खाना खा रहा था यहां. आप बोल रहे हो हमने वहां क्वॉरंटीन लिखा था. सामान तो उसका अंदर रखा होना था पूरा. आधा सामना मैं खुद रखवा के गया न. लेकिन फोटो में जो चीजें हैं. वो शौचालय में कैसे पहुंची. बाकी सामना जैसे वो रात में आया पहले सामान इसी में भरा था. ये ताला लग रहा था तब. सुबह आकर रखवाया मैंने वो सामान."


स्वास्थ्य कर्मियों की बातचीत सुनने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था देखने आई अधिकारी से बाई बात की. उन्होंने कहा, "मैंने कहा 4 लोग आए हुए हैं बाहर से उनको क्वॉरंटीन करना है. आशा को बोला उनको देख लेना. सुबह आकर देखती हूं उनकी कैसी क्या स्थिति है. टीम को बुलवा कर चेक करा देंगे."


भैयालाल शौचालय में खुद गया?
भैयालाल शौचालय में खुद गया या भेजा गया या फिर ये सब किसी गलतफहमी का नतीजा है या फिर भैयालाल के विरोध का तरीका है? ये जानने के लिए राघोगढ़ के एसडीएम बीके शर्मा के पास पहुंचे. राधोगढ़ के एसडीएम बीके शर्मा ने कहा, "एक भइया लाल नाम का आदमी आया था. वायरस के कारण उसको अंदर नहीं घुसने दिया था. उसका छोटा सा घर है. उसकी भाभी ने कहा छोटा सा कमरा है. आप नहीं रह पाएंगे स्कूल में रुक जाओ. दूसरे दिन सुबह हमारी टीम गई तो जांच की. जांच के बाद स्कूल में ठहरने की व्यवस्था की. ये जिस समय वाशरूम गया था उस समय नशे की हालत में था. ये बोल रहा था कि मुझे महुआ की दारू मिल गई है."


राघोगढ़ के एसडीएम, स्थानीय लोग, स्वास्थ्यकर्मियों की आपसी चर्चा, मेडिकल प्रभारी और पीड़ित से बातचीत के मुताबिक, गुना के राघोगढ़ तहसील के पास देवरीपुर गांव से शौचालय में खाने की थाली के साथ बैठे भैयालाल की तस्वीरें सच्ची हैं. पर तस्वीरों के साथ ये दावा कि शौचालय में क्वॉरंटीन सेंटर बनाया गया ये दावा जांच का विषय है.


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