नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर महामारी कोरोना वायरस के इलाज से जुड़ा एक दावा किया जा रहा है. दावा है कि अल्ट्रावाइलेट किरण के चैंबर से कोरोना संक्रमित मरीज को अगर निकाला जाए तो उसके अंदर कोरोना से विषाणु खत्म हो जाएंगे. दावा हैरान करने वाला है. देश को हकीकत बताने के लिए इस दावे की पड़ताल जरूरी थी. एबीपी न्यूज ने अपनी पड़ताल में इस दावे का पूरा जान लिया.


सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि कोरोना का इलाज अब पूरी तरह से संभव है. दावे में डॉक्टरों ने कहा है कि अगर कोरोना संक्रमित मरीज को पराबैंगनी किरणों के चैंबर से गुजारा जाएगा तो कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हो जाएग.


हकीकत क्या है?
दरअसल, पराबैंगनी किरणों का इस्तेमाल बहुत सी चीजों में होता है. इसका इस्तेमाल फॉरेंसिक में होता है.
इसका इस्लेमाल वाटर प्लांट में होता है. फूड प्रोसेसिंग यूनिट में होता है. एयर में माइक्रो ऑर्गेनिजम को मारने में होता है.


अब सवाल ये कि क्या अल्ट्रावाइलेट किरणों से कोरोना संक्रमित मरीज का इलाज हो सकता है. इसपर न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर नवदीप कुमार ने एबीपी से कहा, "अल्ट्रावाइलेट किरणों का मेडिकल में प्रयोग किए गए यंत्रों के बैक्टीरिया मारने में होता है. बॉडी में अगर ज्यादा देर तक अल्ट्रावाइलेट रेडिएशन रहता है तो शरीर को काफी नुकसान हो सकते हैं. स्किन कैंसर हो सकता है. कैंसर के अलावा खुजली भी होने लगती है. बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है. मोतियाबिंद के चांस बढ़ जाते हैं. ये बॉडी के लिए नहीं बना है. अगर ऐसा कोई मैसेज वायरल हो रहा है तो ये गलत मैसेज है."


न्यूरोलॉजिस्ट नवदीप कुमार के मुताबिक अल्ट्राव्यॉलेट किरणों का इस्लेमाल मानव शरीर पर नहीं किया जा सकता. हमारी पड़ताल में अल्ट्रावाइलेट किरणों के चेंबर से व्यक्ति को निकालने पर कोरोना के विषाणु खत्म होने का दावा झूठा साबित हुआ है.


इंटरनेट पर फैल रहे हर दावे और अफवाह का सच जानने के लिए सोमवार से शुक्रवार एबीपी न्यूज़ पर 8.30 बजे 'सच्चाई का सेंसेक्स जरुर देखें.



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