Hind City Fact Check: सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ न कुछ ऐसा मिलता है जो या तो भ्रामक होता है या फिर पूरी तरह से फर्जी जानकारी होती है. हैरानी की बात ये है कि इस झूठी जानकारी को सोशल मीडिया पर वो लोग भी शेयर करने लगते हैं, जिनकी अपनी एक पब्लिक प्रेजेंस है. पिछले कुछ दिनों से एक ऐसा ही दावा सोशल मीडिया पर वायरल है. जिसमें कहा जा रहा है कि इस्लामिक देश अरब में अब हिंद का नाम गूंज रहा है. दावे में कहा गया है कि यूएई सरकार ने अपने देश के एक जिले का नाम अल मिन्हाद की जगह हिंद सिटी करने का फैसला लिया है. इस दावे को बीजेपी के कई नेताओं ने भी शेयर किया है.


क्या है वायरल हो रहा दावा
सोशल मीडिया पर न्यूज एजेंसी एएनआई की एक खबर का लिंक वायरल किया जा रहा है, जिसमें ये बताया गया है कि यूएई के उपराष्ट्रपति ने अल मिन्हाद का नाम हिंद सिटी रखने का फैसला किया है. इसी स्क्रीनशॉट के साथ कुछ लोग ये दावा कर रहे हैं कि अरब सरकार ने हिंदू धर्म को श्रेष्ठ मानकर ये फैसला लिया है. इस खबर को बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने ट्विटर पर शेयर किया. जिसमें उन्होंने लिखा, "नाम बदले जाने के इस नए अध्याय पर भारत में नाम बदलने पर विलाप करने वालों की कुंठा के लिए... सुख अपमानित करता सा, जब व्यंग हंसी हंसता है, मैं व्याकुल खड़ा देखता, ये कैसी परवशता है."






बीजेपी नेता के इस ट्वीट के बाद लोगों ने इस पर जमकर कमेंट करना शुरू कर दिया. अलग-अलग लोग और उनके अनोखे दावे, किसी ने शिक्षा के हिंदूकरण की बात कह डाली तो वैश्विक पटल पर हिंदू शब्द के इस्तेमाल से खुशी मनाने लगा. इसी तरह से इस जानकारी को कई जगह शेयर किया गया.





 दावे में कितनी सच्चाई?
अब आपको इस पूरे मामले की असलियत से वाकिफ करवाते हैं. यूएई के उपराष्ट्रपति ने अल मिन्हाद का नाम हिंद सिटी रखने का फैसला किया है, ये जानकारी बिल्कुल सही है. हालांकि इस बात से हिंदुस्तान या फिर हिंदू शब्द का कोई ताल्लुक नहीं है. दुनियाभर में कई भाषाएं बोली जाती हैं, कई बार ऐसा होता है कि एक ही शब्द का अलग-अलग देश में बिल्कुल हटकर मतलब होता है. इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. अरबी भाषा में हिंद शब्द को बहादुरी या फिर ऊंटों के समूह के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यहां कई महिलाओं के नाम के आगे भी हिंद शब्द लगाया जाता है. अरब के एक शासक की पत्नी के नाम में भी हिंद शब्द लगा था. उसका नाम हिंद बिंत उतबा था. 


यानी सोशल मीडिया पर एक सही जानकारी को भ्रामक तरीके से शेयर किया जा रहा है. कई लोग इस जानकारी को सही मानकर इसे फॉर्वर्ड भी कर रहे हैं. अगर आपको ऐसा कोई स्क्रीनशॉट या पोस्ट दिखे तो उस पर कमेंट कर असली सच बताएं. 


ये भी पढ़ें - Fact Check: समग्र शिक्षा अभियान के तहत सरकार ने नहीं निकाली हैं भर्तियां, फर्जी वेबसाइट का हुआ खुलासा