'मुंबई में पानी पूरी की दुकान और तबेले में काम': कोच ने सुनाई Yashasvi Jaiswal के संघर्ष की कहानी
ABP News Bureau
Updated at:
01 Jan 1970 05:30 AM (IST)
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अंडर 19 के लिये वर्ल्ड कप खेलने वाले क्रिकेटर यशस्वी जयसवाल की कहानी बहुत ही दिलचस्प और संघर्षभरी रही है. बचपन के संघर्ष को झेलते हुए इस बच्चे ने क्रिकेट खेलने का जज्बा कायम रखा. मुंबई में पानी पूरी और तबेले में काम करके क्रिकेट खेला लेकिन जब उसके कोच का उसे सहारा मिला तो उसके सपनो ने उड़ान भरी और क्रिकेट के ग्राउंड का बादशाह बनने का रास्ता उसका खुल गया.
क्रिकेटर यशस्वी जयसवाल यूं तो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. उसके पिता मुंबई में काम करने के लिये आये थे, बचपन में पिता के साथ यशस्वी भी मुंबई आया. आजाद मैदान में तमाम लड़को को क्रिकेट खेलते देखते देखते उसका भी मन क्रिकेट में लग गया और उसने भी ठान लिया कि एक दिन वो एक क्रिकेटर बनेगा लेकिन पिता जब मुंबई में काम धंदा नही कर पाये तो इस शहर को छोड़कर जाने की सोच ली. यशस्वी को भी वो अपने साथ उत्तर प्रदेश ले जाना चाहते थे लेकिन यशस्वी मुंबई छोड़कर जाने के लिए तैयार नही हुआ. यशस्वी को क्रिकेट खेलना था इस लिये वो अपने चाचा के पास रूक गया.यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह बताते हैं कि मुंबई में गुजारा करने और क्रिकेट खेलने के लिये यशस्वी ने पानी पूरी की दुकान पर काम किया, तबेले में नौकरी की और क्रिकेट खेलता रहा.
क्रिकेटर यशस्वी जयसवाल यूं तो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. उसके पिता मुंबई में काम करने के लिये आये थे, बचपन में पिता के साथ यशस्वी भी मुंबई आया. आजाद मैदान में तमाम लड़को को क्रिकेट खेलते देखते देखते उसका भी मन क्रिकेट में लग गया और उसने भी ठान लिया कि एक दिन वो एक क्रिकेटर बनेगा लेकिन पिता जब मुंबई में काम धंदा नही कर पाये तो इस शहर को छोड़कर जाने की सोच ली. यशस्वी को भी वो अपने साथ उत्तर प्रदेश ले जाना चाहते थे लेकिन यशस्वी मुंबई छोड़कर जाने के लिए तैयार नही हुआ. यशस्वी को क्रिकेट खेलना था इस लिये वो अपने चाचा के पास रूक गया.यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह बताते हैं कि मुंबई में गुजारा करने और क्रिकेट खेलने के लिये यशस्वी ने पानी पूरी की दुकान पर काम किया, तबेले में नौकरी की और क्रिकेट खेलता रहा.