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नैतिकता थी तो छिपी है कहां?

एबीपी न्यूज़ डेस्क   |  25 Aug 2025 11:20 PM (IST)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नैतिक रुख पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या लगातार तीन चुनाव हारने के बाद उनका नैतिक रुख बदल गया है. अमित शाह ने 2013 की उस घटना का जिक्र किया जब राहुल गांधी ने लालू प्रसाद यादव को राहत देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए अध्यादेश को 'फाड़' दिया था. शाह ने इसकी तुलना प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और कैबिनेट मंत्रियों को 30 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद पद से हटाए जाने के बिल पर राहुल गांधी के विरोध से की. एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी 130वें संशोधन विधेयक का खुलकर विरोध कर रही है. जब यूपीए सरकार सत्ता में थी, तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और लालू प्रसाद यादव मंत्री थे. लालू प्रसाद को दोषी ठहराया गया था. मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी. राहुल गांधी ने उसे पूरी तरह बकवास बताते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक रूप से इस अध्यादेश को फाड़ दिया था और देश की कैबिनेट और प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए फ़ैसले पर उनके पार्टी के प्रधानमंत्री द्वारा नैतिक आधार पर लिए गए फ़ैसले का मज़ाक उड़ाया था और मनमोहन सिंह पूरी दुनिया के सामने एक शर्मनाक व्यक्ति बन गए थे. आज वही राहुल गांधी बिहार में सरकार बनाने के लिए लालू प्रसाद को गले लगा रहे हैं. क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है?केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नैतिक रुख पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या लगातार तीन चुनाव हारने के बाद उनका नैतिक रुख बदल गया है. अमित शाह ने 2013 की उस घटना का जिक्र किया जब राहुल गांधी ने लालू प्रसाद यादव को राहत देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए अध्यादेश को 'फाड़' दिया था. शाह ने इसकी तुलना प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और कैबिनेट मंत्रियों को 30 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद पद से हटाए जाने के बिल पर राहुल गांधी के विरोध से की. एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी 130वें संशोधन विधेयक का खुलकर विरोध कर रही है. जब यूपीए सरकार सत्ता में थी, तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और लालू प्रसाद यादव मंत्री थे. लालू प्रसाद को दोषी ठहराया गया था. मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी. राहुल गांधी ने उसे पूरी तरह बकवास बताते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक रूप से इस अध्यादेश को फाड़ दिया था और देश की कैबिनेट और प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए फ़ैसले पर उनके पार्टी के प्रधानमंत्री द्वारा नैतिक आधार पर लिए गए फ़ैसले का मज़ाक उड़ाया था और मनमोहन सिंह पूरी दुनिया के सामने एक शर्मनाक व्यक्ति बन गए थे. आज वही राहुल गांधी बिहार में सरकार बनाने के लिए लालू प्रसाद को गले लगा रहे हैं. क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है?

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