BH Number Series Vehicle:  सड़कों पर चलते समय आपको तरह-तरह की नंबर प्लेटें दिख जाती हैं. कुछ प्लेटें बिल्कुल नार्मल होती हैं. लेकिन कुछ पर BH लिखा नजर आता है. खास बात यह है कि BH नंबर वाली गाड़ियां एक ही राज्य में नहीं बल्कि आप इन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में चलते हुए देख सकते हैं. लोग अक्सर सोचते हैं कि आखिर यह BH सीरीज है क्या. 

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यह किसे मिलती है और इसके पीछे नियम क्या हैं. बहुत से लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है कि BH सीरीज क्या है और किन लोगों को मिलती है. क्या इसके लिए किसी तरह की कोई खास पात्रताएं तय की गई हैं. चलिए आपको बताते हैं इस बारे में पूरी जानकारी. 

किन लोगों को मिलता है BH सीरीज नंबर?

BH नंबर खास कैटेगरी के लोगों के लिए बनाया गया है. इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, केंद्र शासित प्रदेशों और रक्षा सेवाओं के कर्मचारी शामिल हैं. इनके अलावा वह प्राइवेट सेक्टर भी इस दायरे में आता है जिसकी कंपनी की शाखाएं कई राज्यों में फैली होती हैं. ऐसे कर्मचारी अक्सर हर कुछ साल में नई लोकेशन पर भेज दिए जाते हैं. पुरानी व्यवस्था में हर राज्य में दोबारा रजिस्ट्रेशन, टैक्स और एनओसी की झंझट पड़ती थी. 

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BH नंबर इस सिरदर्द को खत्म करता है. BH नंबर के लिए व्यक्ति को अपनी संस्था का वैलिड आईडी या ट्रांसफर से जुड़ा डॉक्यूमेंट देना होता है. इसके बाद गाड़ी को BH सीरीज में रजिस्टर्ड किया जाता है. इसका फॉर्मेट भी यूनिक होता है जिसमें दो अंकों का साल, BH कोड, चार नंबर और दो अक्षर शामिल होते हैं.

क्या हैं BH सीरीज के लिए नियम?

BH नंबर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको किसी भी राज्य में दोबारा रजिस्ट्रेशन नहीं कराना पड़ता. आप दिल्ली से बेंगलुरु जाएं या जयपुर से कोलकाता, गाड़ी हर जगह वैलिड रहती है. न एनओसी की जरूरत, न टैक्स की दोबारा भरपाई. BH सीरीज में टैक्स भी ब्लॉक में लिया जाता है, यानी हर दो साल में टैक्स देना होता है. इससे उन लोगों पर आर्थिक दबाव भी कम पड़ता है जिनकी नौकरी लगातार बदलती रहती है. अगर भविष्य में आप गाड़ी बेचना चाहें तो इस नंबर को सामान्य नंबर में बदलने का ऑप्शन भी मौजूद है. 

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किन लोगों को नहीं मिलता यह नंबर?

आपको बता दें कि यह सुविधा हर किसी के लिए नहीं है. एक ही राज्य में काम करने वाले, स्व-रोजगार वाले या स्थानीय बिजनेस चलाने वाले लोग इसके लिए योग्य नहीं होते. BH नंबर खास तौर पर उन्हीं लोगों के लिए बना है जिनकी नौकरी उन्हें बार-बार नए शहरों में ले जाती है और रजिस्ट्रेशन की झंझट उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी बन जाती है.

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