Car Safety Tips: 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला के पास में एक आतंकी हमला हुआ था. तो वहीं दर्जनों लोग घायल हुए थे. हमले में इस्तेमाल की गई थी i20 कार जिसे हमले से कुछ दिन पहले ही खरीदा गया था. जिस आतंकी ने कार को खरीदा था पुलिस ने उस आतंकी को गिरफ्तार कर लिया. तो वहीं कार के पुराने मालिक को पूछताछ के लिए बुलाया. 

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अब ज़रा सोचिए आपकी कार घर के बाहर खड़ी हो या किसी सर्विस स्टेशन पर गई हो और उसी दौरान कुछ लोग आएं और आपकी कार ले उड़े और बाद में पता चला कि वह आतंकी गतिविधियों में शामिल थे. अब ऐसे में लोगों के मन में सवाल आता है क्योंकि कार आपकी थी. तो क्या फिर आप आप पर भी केस दर्ज हो सकता है. जान लीजिए क्या इसे लेकर क्या कहते हैं नियम. 

पुलिस चेक करती है यह चीजें

अगर कोई आपकी कार धोखे से ले गया है और बाद में उसे आतंकवादी  गतिविधि में इस्तेमाल करता है. तो ऐसे में लोग मान लेते हैं कि मालिक पर भी शक होगा. लेकिन ऐसा नहीं है पहले पुलिस यह पता लगाती है कार कौन चला रहा था.  उसके पास कार कैसे आई. क्या कार मालिक को इस बारे में कोई जानकारी थी. अगर कार चोरी करके हथियार की तरह इस्तेमाल की गई है. तब भी जांच एजेंसियां पहले चोरी के मामले की पुष्टि करती हैं. मालिक तब तक सुरक्षित रहता है. जब तक उसके खिलाफ जानबूझकर मदद या किसी भी तरह की संलिप्तता के सबूत न मिलें. 

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कार चोरी थी या जबरन ली गई

अगर आपकी कार चोरी हुई है और आपने तुरंत थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज करा दी थी. तो यह आपके लिए सबसे मजबूत सबूत बन जाता है कि वाहन का आतंकी इस्तेमाल आपकी जानकारी के बिना हुआ. जांच एजेंसियां सबसे पहले कार की रिकवरी, सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन और गवाहों की मदद से यह जानने की कोशिश करती हैं कि कार कब, कहां और किस तरह ली गई. 

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अगर कार धोखे से हासिल की गई थी. जैसे फर्जी आईडी, नकली नंबर या झूठी कहानी बताकर. तो इसे मालिक की गलती नहीं माना जाता. ऐसे मामलों में एजेंसियां मालिक की मदद लेती हैं. उसे संदिग्ध की तरह नहीं देखतीं. कानून भी मालिक को तब तक जिम्मेदार नहीं मानता. जब तक वह जानबूझकर ऐसी गतिविधियों का हिस्सा साबित न हो.

क्या मालिक पर केस बन सकता है?

मालिक पर केस तभी बनता है जब जांच में यह निकल आए कि उसने कार देने से पहले बुनियादी सावधानी नहीं बरती या उसे पहले से शक था फिर भी उसने वाहन किसी संदिग्ध को सौंप दिया. अगर कार भाड़े पर चलती है और मालिक ने बिना वैध दस्तावेज या पहचान जांचे वाहन दे दिया. तो उसे लापरवाही की धारा में घेरा जा सकता है. लेकिन आतंकी गतिविधि का केस तभी जुड़ता है जब मालिक की सक्रिय भूमिका साबित हो. सामान्य नागरिकों को इस बात से घबराने की जरूरत नहीं कि सिर्फ उनकी कार इस्तेमाल होने से वह आरोपी बन जाएंगे. 

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