ट्रेन से रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं, इसे काफी सेफ और किफायती सफर का एक तरीका माना जाता है. यही वजह है कि रेलवे रोजाना हजारों ट्रेनें चलाता है. हालांकि कई बार ऐसी खबरें आती हैं, जिनमें ट्रेन किसी वजह से दुर्घटना का शिकार होती है और इसमें लोगों का भी काफी नुकसान होता है. ऐसे ट्रेन हादसे कई बार लोको पायलट की गलती या लापरवाही से भी होते हैं. हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें एक मालगाड़ी बिना ड्राइवर के करीब 80 किमी तक दौड़ती रही. इस दौरान कोई बड़ा हादसा हो सकता था. इसीलिए आज हम आपको मालगाड़ी खड़ी करने के नियम और इस दौरान लोको पायलट की जिम्मेदारियों के बारे में बता रहे हैं. 


80 किमी दौड़ती रही ट्रेन
ताजा घटना जम्मू के कठुआ से सामने आई है, जहां पर ट्रेन का ड्राइवर उसे छोड़कर चाय पीने उतरा और ट्रेन निकल पड़ी. बिना ड्राइवर के करीब 80 किमी तक ट्रेन पंजाब के होशियारपुर तक पहुंच गई. इस मामले ने सभी को चौंकाकर रख दिया और रेलवे के सुरक्षा नियमों पर भी सवाल खड़े हुए. लोगों ने सोशल मीडिया पर पूछा कि आखिर एक चालक कैसे ऐसी लापरवाही कर सकता है और मालगाड़ी खड़ी करने के क्या नियम हैं. 


क्या होते हैं नियम
दरअसल जब तक दूसरा स्टाफ नहीं आ जाए, तब तक लोको पायलट ट्रेन को ऐसे नहीं छोड़ सकता है. अगर किसी इमरजेंसी या फिर किसी और काम से उतरना पड़े तो इसकी सूचना पहले स्टेशन मास्टर को देनी होती है. बिना ऐसा किए लोको पायलट ट्रेन को नहीं छोड़ सकता है. इसके अलावा मालगाड़ी या ट्रेन को खड़ा करना है तो इसके कुछ नियम हैं, जिनमें इंजन के आगे पटरी पर लकड़ी के गुटके लगाए जाते हैं, जिससे ट्रेन आगे नहीं चल पाए. बताया गया कि मालगाड़ी के ड्राइवर ने इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया था. इसके अलावा लोको पायलट ने हैंड ब्रेक का भी इस्तेमाल नहीं किया. 


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