Doctor Registration Process: हर साल हजारों छात्र डॉक्टर बनने का सपना लेकर मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं. पढ़ाई पूरी करने के बाद अगला बड़ा कदम होता है डॉक्टर के रूप में रजिस्ट्रेशन हासिल करना. यही रजिस्ट्रेशन आपको कानूनी रूप से मरीजों का इलाज करने का अधिकार देता है. बिना इसके न तो आप प्रैक्टिस कर सकते हैं और न ही किसी अस्पताल में बतौर डॉक्टर काम कर सकते हैं. 

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यही वजह है कि मेडिकल डिग्री के बाद रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को जानना जरूरी है. कई लोग यह भी पूछते हैं कि यह कहां से मिलता है. कौन सा फॉर्म भरना होता है और किन डाॅक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है. चलिए आपको बताते हैं पूरी प्रोसेस के बारे में जिससे मेडिकल पढ़ाई के बाद रजिस्ट्रेशन के लिए मुश्किल न हो.

डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन कैसे होता है?

डिग्री और इंटर्नशिप पूरी होने के बाद डॉक्टर को रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है. हर राज्य की मेडिकल काउंसिल की अलग वेबसाइट होती है. जहां फॉर्म उपलब्ध रहता है. आवेदन में बेसिक डिटेल, डिग्री, इंटर्नशिप सर्टिफिकेट, पहचान पत्र और फोटो अपलोड करनी होती है. इसके साथ ही तय फीस जमा करनी पड़ती है.

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इसके बाद डाॅक्यूमेंट वेरिफिकेशन किया जाता है. वेरिफिकेशन पूरा होते ही डॉक्टर को रजिस्ट्रेशन नंबर जारी कर दिया जाता है. जिसे मेडिकल प्रैक्टिस की परमिशन के तौर पर मान्यता मिलती है. यह नंबर देशभर में मान्य होता है और किसी भी अस्पताल में नौकरी या प्रैक्टिस के लिए जरूरी है.

डॉक्टर को कहां करना होता है अप्लाई?

रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दो स्तरों पर किया जा सकता है. पहला है राज्य मेडिकल काउंसिल के माध्यम से जो अपने राज्य में डॉक्टरों का रिकॉर्ड रखती है. तो दूसरा है नेशनल मेडिकल रजिस्टर के माध्यम से जिसे NMC संचालित करता है. MBBS पास करने वाले अधिकतर डॉक्टर अपने राज्य की काउंसिल से रजिस्ट्रेशन लेते हैं.क्योंकि स्थानीय अस्पतालों और क्लिनिक में प्रैक्टिस करने के लिए यह जरूरी होता है. 

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ऑनलाइन पोर्टल पर लॉगिन करके आवेदन भरा जाता है और सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड किए जाते हैं. एक बार रजिस्ट्रेशन नंबर मिल जाने के बाद डॉक्टर पूरे देश में प्रैक्टिस कर सकते हैं और इसे भविष्य की स्पेशलाइजेशन पढ़ाई या नौकरी के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

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