Speed Limit In Cities: गाड़ी चलाते वक्त बहुत से लोगों के स्पीड को लेकर चालान हो जाते हैं. सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए स्पीड की एक लिमिट तय की गई होती है. अगर कोई उस लिमिट के ऊपर जाकर गाड़ी चलाता है. तो फिर उस पर ओवर स्पीडिंग का चालान हो जाता है. यह नियम नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे समेत शहर की सड़कों के लिए भी लागू होता है. 


बाकायदा इस नियम के तहत जांच और कार्रवाई के लिए सड़कों पर कई जगह स्पीड कैमरे भी लगे होते है. हाईवे पर तो आपने देखा होगा सामान्य तौर पर स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटे से ऊपर ही होती है. लेकिन क्या आपको पता है शहरों में गाड़ी की स्पीड लिमिट कितनी होती है. नहीं पता तो फिर चलिए जानते हैं. 


शहरों में इतनी होती है स्पीड लिमिट


भारत के अलग राज्यों में उनके शहरों के हिसाब से अलग स्पीड लिमिट होती है. सामान्य तौर पर बात की जाए तो शहरों में गाड़ी की स्पीड लिमिट 50 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच में होती है. कई शहरों की सड़कें इतनी व्यस्त होती हैं कि वहां 50 तक की स्पीड पहुंचना भी बहुत मुश्किल हो जाता है.  शहरों में भी स्पीड लिमिट के अंदर ही लोगों को गाड़ी चलानी होती है. फिर चाहे भले ही रोड खाली हो. अलग-अलग वाहनों के हिसाब से भी स्पीड लिमिट तय की जाती है. 


कार की स्पीड बाइक बस ट्रैक्टर और बहुत से ट्रांसपोर्ट से ज्यादा होती है. उदाहरण के तौर पर बात की जाए तो दिल्ली में मोटरसाइकिल की मैक्सिमम स्पीड लिमिट 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की है तो वही लाइट मोटर व्हीकल की लिमिट 25 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की है इसके अलावा और जो भी वहां है उनकी स्पीड लिमिट 20 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की है. यह हमने शहर के अंदर की सड़कों की स्पीड लिमिट बताई है.


हाईवे पर होती है ज्यादा


साल 2018 में केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाईवे और एक्सप्रेस वे के लिए अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा रखी थी. यह स्पीड लिमिट  गाड़ी की  कैपेसिटी और उसके इंजन के हिसाब से भी तय की जाती है.


अगर किसी ने भी इस स्पीड से ऊपर गाड़ी चलाई तो उसका ओवर स्पीडिंग का चालान होता है. इसीलिए जब आप गाड़ी चला रहे हो. तो सड़कों पर स्पीड लिमिट के बताए गए साइन को देखें और उस पर बताई गई स्पीड के अनुसार ही गाड़ी चलाएं. 


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