Indian Railways: इंडियन रेलवे का एक नया मामला सामने आया है. इसके मुताबिक, 23 साल पुराने के एक मामले में रेलवे को भारी जुर्माना देना पड़ा है. रेलवे ने यात्री से 20 रुपये एक्स्ट्रा चार्ज किए थे. इसके बाद यात्री ने इसकी शिकायत मथुरा कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी. 


कंज्यूमर फोरम ने ​फैसला सुनाते हुए यात्री के 20 रुपये के बदले 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. अब फोरम की ओर से इसमें 5 हजार रुपये की छूट दी गई है. बाकी राशि 30 दिन के अंदर पेमेंट करने का आदेश दिया गया है. मामला दिसंबर 1999 का है, जब एक वकील तुंगनाथ चतुर्वेदी ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया था और आरोप लगाया था कि उनके ट्रेन टिकट पर 20 रुपये अतिरिक्त लिए गए थे. 


जुर्माने की राशि में 5 हजार की कटौती 


हालांकि रेलवे ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का रुख किया था और जिला-स्तरीय उपभोक्ता निकाय के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी. हालांकि छह महीने के जांच के बाद राज्य आयोग ने इस मामले में रेलवे को दोषी ठहराया है. हालांकि फोरम ने कुछ दिन पहले जुर्माने की राशि 5 हजार रुपये कम कर दी थी. 


जनहित के लिए लड़ा केस 


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक चतुर्वेदी ने कहा कि पिछले 23 वर्षों में, भारतीय रेलवे ने अपनी गलती को स्वीकार नहीं किया. उन्होंने कहा कि कानूनी कार्यवाही में हजारों रुपये खर्च हो चुके हैं. मैंने 20 रुपये के लिए नहीं बल्कि बड़े जनहित के लिए केस लड़ा है. 


रेलवे ने नहीं दिया रिफंड 


25 दिसंबर 1999 को जब यात्री रेलवे से मथुरा से मुरादाबाद का सफर कर रहे थे, तो वहां के टिकट क्लर्क ने उनकी ओर से खरीदे गए दो टिकट पर ज्यादा चार्ज लिए थे. टिकट की कीमत 35 रुपये थी, लेकिन क्लर्क ने दो टिकट पर 90 रुपये चार्ज किए. यात्री ने जानकारी दी कि रेलवे से इसकी जानकारी देने पर रिफंड जारी नहीं किया गया. 


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