भारतीय डाक तंत्र में सितंबर महीने से ऐतिहासिक और अहम बदलाव होने जा रहा है. 50 साल से अधिक पुरानी पंजीकृत (रजिस्टर्ड) डाक सेवा को अलविदा कहकर अब उसकी जगह तेज और आधुनिक स्पीड पोस्ट सेवा को भारतीय डाक तंत्र में अपनाया जा रहा है. डाक विभाग ने यह फैसला आधुनिकीकरण योजना के तहत लिया है, जिसका उद्देश्य लोगों को समय पर, सुरक्षित और ट्रैक की जा सकने वाली डाक सुविधा देना है.

गांवों और कस्बों में बदलेगा डाक का चेहरा

अब तक पंजीकृत डाक खासतौर पर गांवों, छोटे शहरों और सीमित इंटरनेट सुविधा वाले इलाकों में सरकारी पत्राचार, बैंक नोटिस, कानूनी दस्तावेज और विश्वविद्यालयों की चिट्ठियां भेजने का भरोसेमंद साधन रही है. हालांकि, अब इन जगहों के लोगों को भी स्पीड पोस्ट का इस्तेमाल करना होगा. यह सेवा पंजीकृत डाक से थोड़ी महंगी है, लेकिन इसकी गति और ट्रैकिंग सुविधा इसे ज्यादा कारगर बनाती है.

बीते वर्षों में घटा रजिस्टर्ड डाक का इस्तेमाल

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पंजीकृत डाक की लोकप्रियता लगातार गिर रही है. वर्ष 2011-12 में जहां 244.4 मिलियन पंजीकृत डाक भेजी गई थी. वहीं, 2019-20 में यह घटकर 184.6 मिलियन रह गई. डिजिटल माध्यमों से पत्राचार और निजी कुरियर कंपनियों के विस्तार ने इस सेवा की जरूरत को काफी हद तक कम कर दिया.

स्पीड पोस्ट सेवा अधिक तेज, सुरक्षित और पारदर्शी

स्पीड पोस्ट सेवा की तो इसकी शुरुआत 1986 में हुई थी और तब से यह अपनी समयबद्ध डिलीवरी और ट्रैकिंग सुविधा के कारण लोकप्रिय है. इसमें न सिर्फ पत्र और दस्तावेज भेजे जाते हैं, बल्कि पार्सल और महत्वपूर्ण पैकेज भी तय समय में पहुंचाए जाते हैं. ग्राहक ऑनलाइन अपने पत्र की लोकेशन देख सकते हैं और डिलीवरी की स्थिति का पता लगा सकते हैं, जो पंजीकृत डाक में संभव नहीं था.

सरकारी संस्थानों के लिए सख्त निर्देश

डाक विभाग ने सभी मंत्रालयों, सरकारी दफ्तरों, स्कूल-कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों को निर्देश जारी किए हैं कि, अब से आधिकारिक पत्राचार स्पीड पोस्ट से ही किया जाए. इससे डिलीवरी की गति बढ़ेगी, दस्तावेज खोने की आशंका घटेगी और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आएगी.

थोड़े अधिक खर्चे के साथ ज्यादा भरोसेमंद साधन

ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को स्पीड पोस्ट थोड़ा महंगा लग सकता है, क्योंकि यह पंजीकृत डाक की तुलना में थोड़ा ज्यादा खर्चीला है. इसके बावजूद सुरक्षित और समय पर डिलीवरी से यह सेवा वही स्थान हासिल कर सकती है, जो बीते कई दशक में पंजीकृत डाक ने हासिल की थी. यह बदलाव कई लोगों के लिए नया अनुभव होगा. खासकर उन जगहों पर जहां अब तक पंजीकृत डाक ही मुख्य साधन थी.

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