Train Braking System: अगर आप सोच रहे हैं कि ट्रेन में ब्रेक आम गाड़ियों की तरह लगते हैं तो आप गलत सोच रहे हैं. क्योंकि ट्रेन में आम कार की तरह ब्रेक नहीं लगते हैं. बल्कि ट्रेन के अंदर ब्रेकिंग सिस्टम बिल्कुल उल्टा होता है. मतलब ट्रेन में ब्रेक लगाए नहीं जाते हैं. जी हां, ट्रेन के पहिये पर हर समय ब्रेक शू चिपके रहते हैं. ड्राइवर को जब भी रेल आगे बढ़ानी होती है तो वह हवा के प्रेशर से इन ब्रेक शू को हटा देता है. इसके बाद ट्रेन चलती है. अगर फिर से ट्रेन रोकनी है तो हवा के प्रेशर को रिलीज कर दिया जाता है. इससे फिर से ब्रेक शू पहिये से चिपक जाते हैं और ट्रेन रुक जाती है. यह ब्रेकिंग सिस्टम कैसे काम करता है. इसकी जानकारी आगे दी जा रही है.


ट्रेन में इस तरह काम करता है ब्रेकिंग सिस्टम फार्मूला


ट्रेन में इंजीनियरों द्वारा लगाया गया ब्रेकिंग सिस्टम काफी अलग है. जो इसे अनोखा बनाता है. चलती कार को रोकने के लिए ड्राइवर को ब्रेक लगाने पड़ते हैं. जबकि ट्रेन में हर समय ब्रेक लगे रहते हैं. बस ट्रेन को चलाने के लिए हवा के प्रेशर से ब्रेक शू को पहिये से हटाया जाता है. जैसे ही ट्रेन को रोकना हो तो प्रेशर पाइप से हवा के प्रेशर को रिलीज कर दिया जाता है. इससे ब्रेक शू वापस पहिये से चिपक जाते हैं और ट्रेन रुक जाती है. ब्रेक शू के प्रेशर की कमान लोको पायलेट के पास रहती है. वह पहिये से ब्रेक शू हटाने के लिए दो पाइप के द्वारा प्रेशर भरता है. यह प्रेशर पांच किलो प्रति सेंटीमीटर स्क्वायर के हिसाब से भरा जाता है. प्रेशर से ब्रेक शू पहिये से 5 एमएम दूर चला जाता है. इससे ट्रेन चलने लग जाती है. ब्रेक लगाने पर लोको पायलेट ही हवा के प्रेशर को रिलीज कर देता है. जिससे ट्रेन में ब्रेक लग जाते हैं.


ब्रेकिंग सिस्टम से जुड़ी है चेन पुलिंग


किसी एक बोगी से चेन पुलिंग करने पर भी ब्रेकिंग सिस्टम अप्लाई हो जाता है. पूरी ट्रेन एक ही पाइप से जुड़ी होती है. चेन पुलिंग पर प्रेशर रिलीज हो जाता है. इस कारण ट्रेन में ब्रेक लगना शुरू हो जाते हैं. वहीं हर बोगी के बाहर एक लाइट होती है. जिसे अलार्म चेन पुलिंग लाइट कहते हैं. इसके जलने से यह पता चल जाता है कि चेन पुलिंग किस बोगी से की गई है. अनावश्यक चेन पुलिंग पर जीआरपी-आरपीएफ संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लेती है.


चेन पुलिंग के बावजूद जरूरी नहीं कि रुके ट्रेन


लोको पायलेट चाहे तो ट्रेन को रोके बिना वह आगे बढ़ा सकता है. भले ही बार-बार चेन पुलिंग की जाती रही. इसका कारण यह है कि चेन पुलिंग पाइप के प्रेशर को रिलीज कर देती है, लेकिन ब्रेकिंग प्रेशर के लिए एक दूसरा पाइप भी होता है. जिसकी कंट्रोलिंग लोको पायलेट पर होती है. जब चेन पुलिंग से प्रेशर रिलीज होता है तो लोको पायलेट फिर से प्रेशर डाल सकता है. ऐसे में वह बिना रुके ट्रेन को आगे बढ़ा सकता है. लोको पायलेट के साथ पीछे से ब्रेक वैन गार्ड डिब्बे से भी हवा के इस प्रेशर को मेंटेन किया जाता है. यह सिस्टम दोनों ओर से ब्रेक लगाने के काम आता है.


यह भी पढ़ें


Indian Railway: ट्रेन में कितनी तरह के कोच होते हैं? इनमें क्या-क्या मिलती हैं सुविधाएं?


RailMadad App: सफर के दौरान कोई भी परेशानी है तो डाउनलोड करें रेल मदद एप, बहुत काम आएगा