Foreign Mutual Funds: अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड में आम तौर पर घरेलू म्यूचुअल फंड की तुलना में अधिक खर्च होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें विदेशी मुद्रा शुल्क और संरक्षक शुल्क(Custodian Fees) जैसी अतिरिक्त लागतें देनी पड़ती हैं. अंतरराष्ट्रीय इक्विटी म्यूचुअल फंड से होने वाले लाभ पर घरेलू म्यूचुअल फंड से होने वाले लाभ की तुलना में अधिक दर से टैक्स भी लगाया जाता है, क्योंकि उन्हें डेब्ट म्यूचुअल फंड के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और फिर उसी के अनुसार टैक्स लगाया जाता है.


रुपये के चाल पर निर्भर


अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड में मुद्रा जोखिम होती हैं. इसका मतलब यह है कि जिस विदेशी मुद्रा में फंड का निवेश किया गया है, उसके मुकाबले भारतीय रुपये की चाल के आधार पर निवेश के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है. एसएंडपी 500 और नैस्डैक 100 स्टॉक एक्सचेंज पर नजर रखने वाले इंडेक्स म्यूचुअल फंड भारतीय निवेशकों को अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश करने का एक सुविधाजनक तरीका प्रदान करता है. 


टैक्सेसन के बारे में पता होना भी है जरूरी


हालांकि, निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले अपने निवेश उद्देश्यों और जोखिम सहनशीलता पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए. कुल मिलाकर, अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड भारतीय निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश हासिल करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है. निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय निवेश से जुड़े खर्चों और टैक्सेसन के बारे में भी पता होना चाहिए.


बता दें कि S&P 500 एक अमेरिकी शेयर बाजार सूचकांक है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड 500 सबसे बड़ी कंपनियों को ट्रैक करता है. जबकि नैस्डैक 100 भी एक स्टॉक मार्केट इंडेक्स है, जैसे भारत में Nifty-50 और BSE-30 है. नैस्डैक स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड 100 सबसे बड़ी नॉन फाइनेंसिंग कंपनियों को ट्रैक करता है. इस इंडेक्स में सबसे अधिक कंपनियां टेक्नोलॉजी से जुड़ी हुई है. 


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