देश में घर या अपार्टमेंट खरीदने वालों के लिए बड़ी राहत आई है. सरकार ने जीएसटी ढांचे को सरल बना दिया है. पहले जहां चार स्लैब होते थे. अब सिर्फ दो ही स्लैब रह जाएंगे. इसका सीधा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ेगा. खासकर छोटे घर और स्टूडियो अपार्टमेंट खरीदने वालों को फायदा होगा.
अब तक जीएसटी के अलग-अलग स्ट्रक्चर होने से लोगों को दिक्कत आती थी. लेकिन नए नियमों के बाद लागत घटेगी. इससे आम लोगों के लिए घर लेना थोड़ा सस्ता हो जाएगा. यह बदलाव घर खरीदने की सोच रहे लोगों के लिए पॉजिटिव माना जा रहा है. चलिए आपको बताते हैं जीएसटी कटौती से स्टूडियो अपार्टमेंट कितने सस्ते हो सकते हैं.
स्टूडियो अपार्टमेंट होंगे सस्ते
स्टूडियो अपार्टमेंट खरीदने की सोच रहे हैं. तो फिर आपके लिए अच्छी खबर है. क्योंकि अब इनकी कीमत कम होने वाली है. दरअसल सरकार ने जीएसटी के चार में से दो स्लैब घटाकर सिर्फ दो रखने का फैसला किया है. फिलहाल सीमेंट पर 28 फीसदी, स्टील पर 18 फीसदी, पेंट्स पर 28 फीसदी, टाइल्स औरसैनिटरी वेयर पर 18 फीसदी टैक्स लगने से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ जाती थी.
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जब लागत बढ़ती थी तो उसका बोझ सीधे खरीदार पर आता था. और घर महंगे हो जाते थे. लेकिन अब सरकार ने जीएसटी स्ट्रक्चर को सरल करते हुए सिर्फ दो स्लैब रखे हैं. इससे रियल एस्टेट डेवलपर्स को न केवल कंप्लायंस आसान होगा. इसका नतीजा यह होगा कि हाउसिंग सेक्टर की ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा और ग्राहकों के लिए स्टूडियो अपार्टमेंट पहले से सस्ते हो जाएंगे.
कितना लगता है स्टूडियो अपार्टमेंट पर जीएसटी?
स्टूडियो अपार्टमेंट पर जीएसटी इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस श्रेणी में आता है और उसकी स्थिति क्या है. अगर अपार्टमेंट का दाम 45 लाख रुपये से कम है और आकार भी तय सीमा में है, तो वह अफोर्डेबल हाउसिंग में माना जाएगा. इस पर सिर्फ 1% जीएसटी लगता है. लेकिन अगर कीमत इससे ज्यादा है या आकार सीमा से ऊपर है.
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तो वह नॉन-अफोर्डेबल श्रेणी में आता है और उस पर 5% जीएसटी लागू होता है. ध्यान रहे कि यह टैक्स पूरे दाम पर नहीं लगता, बल्कि संपत्ति के दाम से जमीन की लागत घटाकर केवल दो-तिहाई हिस्से पर जीएसटी लगाया जाता है. वहीं, अगर अपार्टमेंट रेडी-टू-मूव है और कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिल चुका है, तो उस पर जीएसटी बिल्कुल नहीं देना पड़ता.
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