Gold Investment Tips: डिजिटल गोल्ड हाल के सालों में निवेश का आसान और काफी पाॅपुलर तरीका बन गया है. कई मोबाइल ऐप या बहुत से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए कुछ ही मिनटों में सोना खरीदा या बेचा जा सकता है. इसलिए बहुत से लोग इसे सेफ इन्वेस्टमेंट मान लेते हैं. लेकिन यहां सबसे बड़ी भूल यही होती है कि लोग नियम और रिस्क को समझे बिना पैसा लगा देते हैं.

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डिजिटल गोल्ड में निवेश करते वक्त अगर सावधानी नहीं रखी गई. तो आपकी रकम अटक सकती है या नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. यह जरूरी है कि निवेश करने से पहले प्लेटफॉर्म की वैधता, कंपनी की नीतियां और कई चीजों को ध्यान रखना होता है. इसलिए सही जानकारी ही आपके निवेश को सुरक्षित रख सकती है. चलिए आपको बताते हैं किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी.

हर प्लेटफॉर्म पर भरोसा न करें

डिजिटल गोल्ड कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और वॉलेट ऐप्स पर मौजूद है. लेकिन सभी भरोसेमंद नहीं होते. कुछ प्लेटफॉर्म सिर्फ बिचौलिये की भूमिका निभाते हैं. जिनके पास खुद सोने का स्टॉक नहीं होता. ऐसे में अगर कंपनी का सर्वर बंद हुआ या प्लेटफॉर्म किसी विवाद में फंसा तो फिर आपका निवेश फंस सकता है.

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निवेश करने से पहले यह देखना जरूरी है कि कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक या बाजार नियामक SEBI से अप्रूव्ड है या नहीं. साथ ही सोना कहां स्टोर किया जा रहा है और उस पर आपका कानूनी हक क्या है. यह जानना भी जरूरी है. हमेशा प्रतिष्ठित कंपनियों जैसे Augmont, MMTC-PAMP या SafeGold जैसी संस्थाओं पर ही भरोसा करें.

 लंबे समय के लिए होल्ड करने से पहले यह जान लें

कई लोग डिजिटल गोल्ड को लंबे समय के लिए होल्ड करते हैं. लेकिन उन्हें इसकी लिमिट और चार्जेस की जानकारी नहीं होती. कुछ प्लेटफॉर्म केवल 5 साल तक ही सोना स्टोर करने की सुविधा देते हैं. उसके बाद या तो आपको फिजिकल डिलीवरी लेनी होती है या बेच देना पड़ता है. डिलीवरी के दौरान टैक्स, मेकिंग चार्ज और ट्रांसपोर्ट कॉस्ट जैसी चीजें जुड़ जाती हैं.

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इससे आपकी रिटर्न घट सकती है. इसलिए अगर आप डिजिटल गोल्ड में निवेश कर रहे है.  तो पहले यह तय करें कि यह शॉर्ट-टर्म प्लान है या लॉन्ग-टर्म. जरूरत पड़ने पर गोल्ड ईटीएफ या सोवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे ऑप्शन बेहतर साबित हो सकते हैं. क्योंकि उनमें सरकारी सुरक्षा और ब्याज दोनों मिलते हैं.

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