किसी भी गंभीर बीमारी या फिर इमरजेंसी की हालत में अस्पताल काम आता है, जहां मरीज की जान बचाने की कोशिश होती है और उसका इलाज किया जाता है. हालांकि कई मामले ऐसे भी आए हैं, जिनमें देख गया है कि अस्पताल ने मरीज को एडमिट करने से ही इनकार कर दिया या फिर किसी और बहाने से कहीं और भेज दिया. ऐसे में तुरंत इलाज नहीं मिलने पर कई बार मरीज की जान भी चली जाती है. अब अगर कभी आपके किसी रिश्तेदार या पिरजन के साथ भी ऐसा होता है तो आप उस अस्पताल के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं. आज हम आपको यही जानकारी दे रहे हैं.
मरीज के क्या होते हैं अधिकार?सबसे पहले मरीजों को अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए. मरीज का सबसे पहला अधिकार उचित इलाज का है. मरीजों को अपनी बीमारी के बारे में जानने का पूरा अधिका होता है. इसके अलावा जो दवाएं मरीज को दी जा रही हैं, उनके बारे में भी जानने का अधिकार होता है. मरीज डॉक्टर की योगयता के बारे में भी पूछताछ कर सकते हैं. इतना ही नहीं मरीज को अपनी बीमारी को गोपनीय रखने का भी अधिकार होता है.
यहां कर सकते हैं शिकायतदरअसल देश में कोई भी अस्पताल मरीज को इलाज देने से इनकार नहीं कर सकता है, ये नियमों के खिलाफ है और उस अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है. अगर कोई अस्पताल इलाज से इनकार करता है तो आप इसकी शिकायत राज्य सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट में कर सकते हैं. अलग-अलग राज्यों ने इसके लिए हेल्पलाइन नंबर दिए होते हैं. अगर अस्पताल केंद्र सरकार का है तो आप स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर शिकायत कर सकते हैं.
हो सकती है सख्त कार्रवाईइसके अलावा आप जिला उपभोक्ता फोरम यानी कंज्यूमर कोर्ट में भी इसकी शिकायत कर सकते हैं. यहां आप अस्पताल या फिर डॉक्टर की शिकायत कर सकते हैं. आप कोर्ट में भी केस कर सकते हैं. साथ ही पुलिस में भी एफआईआर करवा सकते हैं. लापरवाही के चलते मरीज की मौत होने पर आईपीसी की धारा 304 के तहत केस दर्ज हो सकता है. जिसके तहत दोषी को दो साल तक की सजा हो सकती है. आप राज्य मेडिकल काउंसिल और इंडियन मेडिकल काउंसिल में भी शिकायत कर सकते हैं.
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