Car Buying Tips:  आज के वक्त कार लोगों के लिए एक बुनियादी जरूरत बनती जा रही है. और यह वजह है कि जिन लोगों के पास नई कार खरीदने के लिए पैसे नहीं है. वह सेकेंड हैंड कार खरीद लेते हैं. ज्यादातर लोग बजट देखकर पुरानी कार की तरफ झुकते हैं. तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नई कार को ही बेहतर मानते हैं. इन दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं. नई कार में कुछ चीजें अलग होती हैं. 

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तो वहीं पुरानी कार में भी आपकों काफी हद तक कई सारे फीचर्स मिल जाते हैं. अगर आप सोच रहे हैं कार खरीदने की और कंफ्यूज है. सेकेंड हैंड कार लें या फिर शोरूम से नई कार उठाएं. तो हम आपको बताते हैं आपके लिए कौनसी कार हो सकती है बेहतर. 

नई कार लेना फायदे का सौदा?

नई कार खरीदने का सबसे बड़ा फायदा है भरोसा. कंपनी वारंटी के साथ गाड़ी देती है, जिससे शुरुआती सालों में रिपेयर की टेंशन नहीं रहती. इसके अलावा नई कार में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी, सेफ्टी फीचर्स और फ्यूल एफिशिएंसी मिलती है. 

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हालांकि इसकी कीमत ज्यादा होती है और रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस जैसे चार्ज भी बढ़ जाते हैं. नई कार लेते ही उसकी वैल्यू 10 से 15 फीसदी तक घट जाती है. जिसे डिप्रिशिएशन’कहा जाता है. यानी उसे खरीदते ही नुकसान शुरू हो जाता है. 

पुरानी कार के फायदे

पुरानी कार लेने में सबसे बड़ा फायदा है बजट कंट्रोल. कम पैसों में बढ़िया गाड़ी मिल सकती है. इसके साथ ही शुरुआती टैक्स और चार्ज भी नहीं देने पड़ते. अगर सही तरीके से चेक कर ली जाए. तो पुरानी कार लंबा चल सकती है. लेकिन रिस्क यही है कि अगर गाड़ी का मेंटेनेंस रिकॉर्ड सही न हो तो बाद में रिपेयरिंग खर्च बढ़ सकता है. इसलिए पुरानी कार खरीदने से पहले सर्विस हिस्ट्री, इंश्योरेंस क्लेम और टेस्ट ड्राइव जरूर करें.

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क्या है सही फैसला?

अगर आपका बजट थोड़ा टाइट है और आप शुरुआती सालों में ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते, तो अच्छी कंडीशन में पुरानी कार लेना बेहतर रहेगा. लेकिन अगर आपको भरोसे, वारंटी और नई टेक्नोलॉजी चाहिए तो नई कार सही ऑप्शन है. कौनसी कार आपको खरीदनी चाहिए यह आपकी जरूरत, ड्राइविंग और बजट के हिसाब से करना चाहिए. 

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