Bike Transport Train: शहर बदलने वाले या फिर लंबे समय तक रहने की योजना बनाने वाले काफी लोग अक्सर सोचते हैं कि क्या वे अपनी बाइक या फिर स्कूटर कोर्ट ट्रेन से ले जा सकते हैं. दरअसल भारतीय रेलवे यात्रियों को दो पहिया वाहन ले जाने की अनुमति देता है. लेकिन इसके लिए कुछ तय नियमों का पालन करना होगा. आइए जानते हैं क्या है यह नियम और क्या है पूरी प्रक्रिया.

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ट्रेन से कैसे ले जा सकते हैं दो पहिया वाहन?

भारतीय रेलवे बाइक या फिर स्कूटर को लगेज या फिर पार्सल के तौर पर ले जाने की पूरी इजाजत देता है. लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि मलिक उस ट्रेन में यात्रा कर रहा है या फिर नहीं. जब लगेज के तौर पर बुक किया जाता है तो वाहन उसी ट्रेन के ब्रेक वैन में जाता है जिसमें यात्री यात्रा कर रहा होता है. जैसे ही मंजिल स्टेशन पर ट्रेन पहुंच जाती है मलिक को तुरंत बाद बाइक या फिर स्कूटर सौंप दिया जाता है.

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वहीं अगर मलिक यात्रा नहीं कर रहा है तो वाहन को पार्सल के तौर पर बुक किया जाता है. इस मामले में इसे पार्सल वैन या फिर मालगाड़ी से लेकर जाया जाता है. पार्सल डिलीवरी में आमतौर पर एक से 7 दिन लगते हैं. यह रूट की उपलब्धता और ट्रेन के शेड्यूल पर निर्भर करता है. 

बुकिंग के लिए जरूरी दस्तावेज 

ट्रेन से दो पहिया वाहन ले जाने के लिए कुछ दस्तावेज जरूरी हैं. वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट मालिकाना हक के सबूत के तौर पर जरूरी है. आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या फिर वोटर आईडी जैसा पहचान पत्र जरूरी है. अगर वाहन को लगेज के तौर पर बुक किया गया है तो यात्री को कन्फर्म ट्रेन टिकट भी दिखाना होगा.

बाइक या फिर स्कूटर ट्रांसपोर्ट करने का चार्ज 

दो पहिया वाहन ट्रांसपोर्ट करने का खर्च दूरी, वजन और ट्रेन के टाइप पर निर्भर करता है. ज्यादातर मामलों में बुकिंग चार्ज ₹300 से ₹3000 के बीच होता है. इसमें पैकिंग चार्ज भी शामिल है जो आमतौर पर ₹100 से ₹500 के बीच होता है. इसी के साथ गाड़ी की बताई गई कीमत का लगभग 1% इंश्योरेंस चार्ज होता है. 

आपको बता दें कि लगेज बुकिंग के लिए यात्रियों को कागजी कार्रवाई और इंस्पेक्शन पूरा करने के लिए ट्रेन के निकलने से कम से कम 3 घंटे पहले स्टेशन पहुंचना होगा. पार्सल बुकिंग के लिए वाहन को पार्सल ऑफिस के काम के घंटे के दौरान सपना होगा

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