हर इंसान का सपना होता है कि उसका एक खुद का घर हो, एक ऐसी जगह जहां वह अपने परिवार के साथ सुकून से रह सके. इसी सपने को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) की शुरुआत साल 2015 में की थी. इस योजना का मकसद था कि देश के हर जरूरतमंद को पक्का घर मिले, खासतौर पर उन लोगों को जिनके पास छत नहीं है या रहने के लिए सही सुविधा नहीं है.
योजना के तहत सरकार लोगों को घर बनाने या खरीदने के लिए आर्थिक सहायता देती है, जिससे वो अपना घर बना सकें. योजना में कई कैटेगिरी हैं और इनके लिए अलग-अलग आय सीमा तय की गई है, लेकिन अब इस योजना में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा होने के मामले सामने आ रहे हैं. कई लोगों ने झूठे कागजात, गलत जानकारी और अफसरों की मिलीभगत से इस योजना का गलत फायदा उठाया है. आइए जानते हैं इस फर्जीवाड़े में कार्रवाई के नाम पर क्या हो रहा है और क्या सरकार वापस रिकवरी कर सकती है या नहीं.
क्या है प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)?
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकार चार कैटेगरी के लोगों को घर खरीदने या बनाने के लिए पैसा देती है. जिसमें पहला EWS, जिनकी सालाना इनकम 3 लाख तक होती है. वहीं दूसरा LIG, जिनकी सालाना इनकम 3 से 6 लाख के बीच होती है. इसके बाद MIG 1 आते हैं, जिनकी सालाना इनकम 6 से 12 लाख के बीच होती है और फिर MIG 2, जिनकी सालाना इनकम 12 से 18 लाख के बीच होती है. इन कैटेगरी के लोगों को सरकार 1.20 लाख से लेकर 2.67 लाख तक की मदद देती है, ताकि वे अपना घर बना सकें.
कैसे हो रहा है फर्जीवाड़ा?
कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां लोगों ने पहले से अपना पक्का घर होने के बावजूद योजना में आवेदन किया. फर्जी कागजात बनवाकर खुद को गरीब दिखाया, योजना की पहली किस्त ली, लेकिन घर बनवाने की एक ईंट भी नहीं रखी और कुछ मामलों में पति-पत्नी दोनों ने अलग-अलग नाम से लाभ ले लिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में 9,000 से ज्यादा लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर योजना का लाभ ले लिया, जबकि वे पहले से अच्छे घरों में रहते थे.
क्या सरकार वापस रिकवरी कर सकती है या नहीं
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फर्जीवाड़ा करने पर कानून कहता है कि अगर कोई व्यक्ति झूठे दस्तावेज देकर या फर्जी तरीके से योजना का लाभ लेता है तो यह गैरकानूनी है. ऐसे व्यक्ति से ली गई राशि की रिकवरी की जा सकती है. उन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो कि मिली सहायता से भी ज्यादा हो सकता है. साथ ही, जेल की सजा भी हो सकती है. सरकार ने साफ किया है कि गलत तरीके से मिली राशि को वापस लेने के लिए प्रक्रिया शुरू की जा सकती है, लेकिन इसके लिए नियमों में सख्ती और कानूनी प्रक्रिया की जरूरत है. अगर किसी ने फर्जी तरीके से योजना का लाभ लिया है तो सरकार पहले व्यक्ति को नोटिस भेजती है. अगर तय समय में पैसा नहीं लौटाया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाती है. कुछ मामलों में संपत्ति जब्त करने की भी प्रक्रिया हो सकती है. योजना में शामिल अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जा सकती है.
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