Blue Aadhaar Card: देश में पहचान से जुड़े दस्तावेजों में आधार कार्ड सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. आमतौर पर लोग सफेद रंग वाला आधार देखते आए हैं. जो कागज़ पर प्रिंट होकर प्लास्टिक लमिनेशन में उपयोग किया जाता है. लेकिन हाल ही में एक और तरह का आधार काफी चर्चा में है. जिसे लोग नीला आधार कहा जाता हैं.
नाम सुनकर कई लोगों को लगता है कि यह कोई अलग तरह की सुविधा है या फिर इसमें कुछ एक्सट्रा पहचान दर्ज होती है. तो बात दें ऐसा नहीं है. नीला आधार दरअसल अलग कैटेगरी के लिए बनाया जाता है. चलिए आपको बताते हैं किन लोगों का बनता है नीला आधार कार्ड? और सफेद आधार कार्ड से कितना अलग होता है यह आधार कार्ड.
सफेद आधार कार्ड से कैसे अलग है नीला आधार?
भारत में फिलहाल दो तरह के आधार कार्ड जारी किए जाते हैं. नीला आधार सफेद आधार से देखने में ही अलग होता है. सफेद आधार जहां स्टैंडर्ड फॉर्मेट में आता है, वहीं नीला आधार खास तौर पर बच्चों के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह हल्के नीले रंग का होता है और इसे आधार यूआईडीएआई द्वारा आधिकारिक तौर पर बाल आधार कहा जाता है. इसका एक बड़ा अंतर यह है कि इसमें बायोमेट्रिक जानकारी शामिल नहीं होती.
यह भी पढ़ें: इन लोगों के खाते में 19 नवंबर को नहीं आएगी किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त, ऐसे चेक करें अपना स्टेटस
क्योंकि छोटे बच्चों के फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन लगातार बदलते हैं और स्थिर नहीं रहते. सफेद आधार में बायोमेट्रिक होते हैं. लेकिन नीले आधार में सिर्फ फोटो, डेट ऑफ बर्थ और माता-पिता के आधार नंबर जैसी जानकारियां दर्ज की जाती हैं. इसके अलावा बाल आधार पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बनाया जाता है. जैसे ही बच्चा पांच साल का होता है, यूआईडीएआई की ओर से फिर से बायोमेट्रिक अपडेट करवाना जरूरी हो जाता है.
किन लोगों का बनता है नीला आधार?
नीला आधार पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बनाया जाता है. इसके बनवाने की प्रोसेस आसान है. इसके लिए माता-पिता में से किसी एक का आधार होना ज़रूरी है. आवेदन के दौरान बच्चे का जन्म बर्थ सर्टिफिकेट मांगा जाता है. बच्चे की फोटो वहीं कैप्चर की जाती है और बाकी जानकारी माता-पिता की ओर से दी जाती है. क्योंकि इसमें बायोमेट्रिक शामिल नहीं होते. इसलिए प्रक्रिया तेजी से पूरी हो जाती है.
यह भी पढ़ें: नहीं करवाया ये काम तो बंद हो जाएगा पैन कार्ड, नहीं कर पाएंगे ये काम
यह आधार आगे चलकर कई कामों में मदद करता है. जैसे स्कूल एडमिशन, सरकारी योजनाओं में रजिस्ट्रेशन. जब बच्चा पांच साल का हो जाता है, तो बायोमेट्रिक अपडेट करवाकर इसे सामान्य आधार में बदल दिया जाता है. दस साल की उम्र में दूसरी बार बायोमेट्रिक अपडेट करवाना पड़ता है. इस तरह नीला आधार बच्चों के शुरुआती पहचान पत्र की तरह काम करता है और आगे चलकर सामान्य आधार में बदल जाता है.
यह भी पढ़ें: इन्वर्टर की बैटरी जल्दी खराब नहीं होगी, ये स्मार्ट टिप्स बढ़ा देंगे इसकी लाइफ