Corona से संक्रमित पुलिस वाले की मौत से पहले की आखिरी बातचीत आपको रुला देगी | ABP Uncut
ABP News Bureau
Updated at:
01 Jan 1970 05:30 AM (IST)
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साहब क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं? उस पुलिसकर्मी के बेबसी से भरे शब्द आज भी मेरे कानों में गूंज रहे हैं. 14मई को मुंबई पुलिस के एक और पुलिस कर्मचारी की कोरोना से जंग लड़ते हुए उसके निधन की खबर आई. मृतक का नाम था भगवान पारते. नाम सुना तो चौंक गया. इस पुलिसकर्मी ने 10 दिनों पहले कहीं से मेरा नंबर पाकर बड़ी व्यथित हालत में फोन किया था. पारते अपने परिवार की हालत को लेकर काफी परेशान थे. महीने की शुरुआत में शिवाजी नगर की झुग्गी में एक लाश मिलने के कॉल पर वे गए थे. जिसके बाद से उनकी तबियत बिगड़ी. हरारत महसूस होने पर जब टेस्ट कराया तो वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए. उसके बाद नवी मुंबई के एक अस्पताल में वो खुद ही जाकर भर्ती हो गए. 2 दिनों बाद उनकी पत्नी और बच्चे को भी एक क्वॉरंटाइन सेन्टर में ले जाया गया।पारते के मुताबिक वहां के हालात नर्क जैसे थे. साफ सफाई और बेसिक सुविधाओं का अभाव था. जिस कमरे में उन्हें ठहराया गया था वो गंदा था. चादर काफी वक्त से धुली नहीं गई थी. कूड़ेदान उठाने वाला कोई नहीं था. पानी गर्म करने के लिये कोई सुविधा नहीं थी. उनसे कहा गया कि वो खुद ही कमरे को साफ करें. पारते मुझसे मदद चाह रहे थे कि मैं वहां की स्थिति ठीक करवाऊं ताकि उनके परिवार और सेंटर में रहने वाले बाकी लोगों को कष्ट न हो. मैंने उन्हें मदद का भरोसा दिया और निवेदन किया कि वो अपने बेटे से कहकर मुझे क्वॉरंटाइन सेंटर के भीतर का कुछ वीडियो भिजवा दें जिससे कि मैं वहां के हालात को अपने चैनल पर दिखा सकूं और प्रशासन से वीडियो के आधार पर सवाल पूछ सकूं. मुझे बातचीत के दौरान उनकी हालत सामान्य लग रही थी. हाँ बीच में एक दो बार हल्की खांसी ज़रूर आयी होगी. पर मुझे लग रहा था कि वो भी ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाएंगे लेकिन इस दुखद खबर ने एकदम सन्न कर दिया. जिस वक्त उन्होंने मुझसे बातचीत की उस वक्त ऐसा लग रहा था कि उनकी हालत नियंत्रण में है, लेकिन मुझे शक है कि अस्पताल में उचित देखरेख के अभाव में ही उनकी हालत बिगड़ती गई और उनका निधन हो गया.