कला की दुनिया बहुत नाजुक होती है. कई बार किसी कलाकृति का असली मतलब समझना आसान नहीं होता और दिखने में साधारण लगने वाली चीज भी करोड़ों की कला का हिस्सा होती है. ताइवान से एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहां एक नेक नीयत स्वयंसेवक ने सोचा कि वह एक कलाकृति की सफाई कर रहा है, लेकिन असल में वह कला की एक बेहद कीमती और 40 साल पुरानी रचना को हमेशा के लिए खराब कर बैठा. उसने टॉयलेट पेपर से धूल साफ कर दी, जबकि वही धूल उस कलाकृति का असली हिस्सा थी. यह घटना अब दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई है और यह बताती है कि कला को समझना उतना आसान नहीं जितना यह दिखती है.

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ताइवान के कीलुंग आर्ट म्यूजियम में घटी अजीब घटना!

यह मामला ताइवान के कीलुंग आर्ट म्यूजियम का है. यहां 'इनवर्टेड सिंटैक्स 16' नाम की एक खास कलाकृति लगी थी. यह कलाकृति बहुत साधारण दिखती थी. एक लकड़ी के तख्ते पर एक दर्पण लगा था और उस दर्पण पर मोटी धूल जमी थी. धूल के बीच में एक छोटा सा साफ धब्बा था. लेकिन यही धूल और यही धब्बा पूरी कला का मतलब था. कलाकार ने इसे 40 साल पहले बनाया था और उस समय से लेकर आज तक उस धूल को वैसे ही रहने दिया गया था. इसका मकसद था मध्यवर्गीय समाज की सोच और उनकी सांस्कृतिक समझ को दिखाना.

म्यूजियम में काम करने वाले शख्स ने बिगाड़ दी 40 साल पुरानी कलाकृति!

लेकिन म्यूजियम में काम करने आए एक स्वयंसेवक को यह समझ नहीं आया कि यह धूल असल में कला का हिस्सा है. उसने सोचा कि दर्पण धूल से गंदा हो गया है. उसे लगा कि उसकी ड्यूटी है साफ-सफाई करना, इसलिए उसने टॉयलेट पेपर उठाया और दर्पण पर जमी धूल को साफ करना शुरू कर दिया. कुछ ही सेकंड में वह धूल, जो 40 सालों से इस कलाकृति की पहचान थी, पूरी तरह मिट गई और कलाकृति अपूरणीय रूप से खराब हो गई.

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कर्मचारी से भरपाई कराने को लेकर चल रही चर्चा!

जब तक बाकी कर्मचारी वहां पहुंचे, तब तक देर हो चुकी थी. धूल हट चुकी थी और कलाकृति अपनी मूल अवस्था में वापस नहीं आ सकती थी. म्यूजियम के उप-निदेशक चेंग टिंग-चिंग ने बताया कि इस घटना के बाद तुरंत मीटिंग बुलाई गई और अब कलाकार को नुकसान की भरपाई देने पर चर्चा चल रही है.

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दो हिस्सो में बंटे यूजर्स

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कई यूजर्स ने हैरानी जताई कि किसी म्यूजियम में काम करने वाले व्यक्ति को इतनी भी जानकारी नहीं थी कि कोई चीज सच में धूल है या कला का हिस्सा. कुछ लोगों ने इसे “दुनिया की सबसे महंगी सफाई” बताया. कई लोग मज़ाक करते हुए लिख रहे हैं कि अगर उनकी मम्मियाँ इस म्यूजियम में होतीं तो पूरा म्यूजियम ही साफ कर देतीं. वहीं दूसरी तरफ कुछ यूजर्स ने स्वयंसेवक का बचाव करते हुए कहा कि उसकी नीयत साफ थी, वह सिर्फ अपना काम कर रहा था, इसलिए असली गलती म्यूजियम मैनेजमेंट की है जिसने स्टाफ को सही ट्रेनिंग नहीं दी

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