दिल्ली विश्वविद्यालय ने भीमराव अंबेडकर कॉलेज (BRAC) में 16 अक्टूबर को हुए हाथापाई प्रकरण के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की संयुक्त सचिव दीपिका झा के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें दो महीने के लिए निलंबित कर दिया है. यह कार्रवाई विश्वविद्यालय के प्रोक्टोरियल बोर्ड द्वारा गठित समिति की अनुशंसा पर की गई है.

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घटना 16 अक्टूबर को उस समय हुई जब BRAC के प्राचार्य कार्यालय में एक बैठक चल रही थी. आरोप है कि दीपिका झा ने कॉलेज की अनुशासन समिति के संयोजक और फैकल्टी सदस्य प्रो. सुजीत कुमार को थप्पड़ मारा. इस घटना का CCTV फुटेज भी सामने आया है, जिसमें दीपिका झा द्वारा प्रोफेसर को थप्पड़ मारने की बात कही गई है.

एबीपी न्यूज ने उस समय दीपिका से एक्सक्लूसिव बातचीत भी की थी जिसमे दीपिका ने प्रोफेसर को थप्पड़ मारने की पुष्टि की थी. प्रोफेसर सुजीत कुमार ने कॉलेज की अनुशासन समिति से बाद में इस्तीफा दे दिया था.

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प्रॉक्टर कार्यालय ने जारी किया नोटिस 

समिति ने पाया कि दीपिका झा का आचरण एक छात्र और छात्रसंघ पदाधिकारी के रूप में अस्वीकार्य है. यह घटना विश्वविद्यालय समुदाय में अनुशासन और शिष्टाचार के गंभीर उल्लंघन को दर्शाती है.

प्रोफेसर पर शारीरिक हमला विश्वविद्यालय के Ordinance XV-B 3(a) के तहत गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है. इन निष्कर्षों के आधार पर दीपिका झा को DUSU संयुक्त सचिव पद से दो महीने के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.

नोटिस में दी गई शर्तें क्या हैं? 

  • निलंबन अवधि के दौरान वह दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध किसी भी कॉलेज परिसर में पदाधिकारी के रूप में प्रवेश नहीं कर सकेंगी.
  • उन्हें अपने व्यवहार के लिए प्रोफेसर सुजीत कुमार को लिखित माफी देनी होगी.
  • उन्हें ‘गुड कंडक्ट’ का लिखित आश्वासन देना होगा.
  • शैक्षणिक हित में उन्हें अपनी कक्षाओं में आने और परीक्षा देने की अनुमति रहेगी.
  • दो महीने बाद उनकी आचरण समीक्षा के आधार पर निलंबन हटाने पर निर्णय होगा.

शिक्षकों का आक्रोश और राजनीतिक पक्षपात के आरोप 

घटना के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों में कड़ी नाराजगी देखी गई. मिरांडा हाउस की फिजिक्स विभाग की प्रोफेसर आभा देव हबीब ने कहा कि यह कार्रवाई “सजा नहीं बल्कि इनाम जैसी” है. उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के कई स्तरों पर सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों का प्रभाव है और इसी कारण कार्रवाई कमजोर है. 

उनका कहना था कि दो महीने का निलंबन “औपचारिकता” है, क्योंकि इस अवधि में परीक्षाओं के चलते कोई छात्रसंघ गतिविधि नहीं होती. उन्होंने यह भी कहा कि अगर एक वरिष्ठ शिक्षक के साथ ऐसा हो सकता है, तो गैर-शिक्षण स्टाफ और युवा सहयोगियों पर ऐसे समूह क्या कर सकते हैं, इसकी कल्पना करना कठिन नहीं है. 

दीपिका झा दो महीने के लिए निलंबित 

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दीपिका झा को केवल दो महीने के लिए निलंबित करने के आदेश ने शिक्षकों की आशंकाएँ सही साबित कर दीं. प्रो. रुद्राशीष चक्रवर्ती के अनुसार, यह कार्रवाई आरोपी को बचाने का प्रयास है और इससे स्पष्ट संदेश जाता है कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा खतरे में है तथा निष्पक्ष कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती.

दीपिका झा की सफाई और पुलिस में शिकायत 

घटना के बाद दीपिका झा ने शिक्षण समुदाय से माफी तो मांगी, लेकिन साथ ही यह भी आरोप लगाया कि प्रोफेसर सुजीत कुमार ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. हालांकि, प्रोफेसर ने इस दावे से इनकार किया है. इस मामले में पुलिस ने FIR दर्ज की है और कॉलेज ने अपनी अलग जांच समिति भी बनाई है.

विश्वविद्यालय ने की थी जांच समिति गठित

विश्वविद्यालय ने इस घटना की जांच के लिए छह सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसमें प्रो. ज्योति त्रेहन शर्मा, संयुक्त प्रोक्तर (सदस्य सचिव), प्रो. (डॉ.) रामा, प्रिंसिपल, हंसराज कॉलेज, प्रो. स्वाति दिवाकर, पर्यावरण अध्ययन, प्रो. दरविंदर कुमार, प्रिंसिपल, PGDAV कॉलेज और संयुक्त प्रोक्तर अवधेश कुमार शामिल थे.

इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई की गई. यह मामला दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र नेताओं के व्यवहार, विश्वविद्यालय प्रशासन की सख्ती और शिक्षकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है. जबकि निलंबन आदेश जारी कर दिया गया है, शिक्षक समुदाय का कहना है कि यह कार्रवाई न तो पर्याप्त है और न ही भविष्य के लिए कोई रोकथाम का संदेश देती है.