YouTube : डीपफेक पर भारत सरकार के कड़े रूख के बाद अब गूगल ने इससे निपटने के लिए कहा कि यूट्यूब पर कंटेट क्रिएटर्स को कोई भी पोस्ट करने से पहले उसमें AI से चेंज की गई जानकारी के बारे में खुलासा करना होगा. साथ ही गूगल ने साफ किया कि अगर यूट्यूब पर इस तरीके का कोई कंटेंट पोस्ट किया जाता है और इसकी जानकारी नहीं दी जाती है, तो गूगल अपनी पावर का इस्तेमाल करके उसे हटाने की प्रक्रिया को पूरा करेगा.


यूट्यूब पर कब लागू होंगे ये नियम


Google  की ब्लॉग पोस्ट के अनुसार आने वाले महीनों में यूट्यूब पर AI जनरेट या सिंथेटिक कंटेंट की जानकारी देनी होगी. जो कि दर्शकों को वीडियो प्लेयर के लेबल के माध्यम से सूचित करेगी. आपको बता दें बीते दिनों में यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डीपफेक वीडियो की बाढ़ आ गई है, जिसमें चेहरा और आवाज बदलकर वीडियो को वायरल किया गया है. ऐसे में सरकार ने इस मामले पर सख्त रूख अपना है.  गूगल ने कहा कि उसने रिस्पॉन्सिबल एआई के लिए अपनी तरह का पहला बहु-विषयक केंद्र स्थापित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास को अनुदान में 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है.


विशेष अधिकारी नियुक्त करेगी सरकार


सरकार ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर डीपफेक खतरे को देखने के लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त करेगी और जब भी नागरिकों को ऑनलाइन फर्जी कंटेंट दिखेगी तो एफआईआर दर्ज करने में सहायता करेगी. चंद्रशेखर ने मंचों को यह भी बताया कि सरकार एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करेगा जहां नागरिक सरकार के ध्यान में अपने नोटिस, आरोप या प्लेटफार्मों द्वारा कानून के उल्लंघन की रिपोर्ट ला सकेंगे. 


बता दें, डीपफेक का मुद्दा हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उठाया था. बीते सप्ताह की शुरुआत में जी20 देशों के एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान, मोदी ने डीपफेक के खतरों पर प्रकाश डाला और एआई नियमों पर वैश्विक सहयोग का आह्वान किया.


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