भारत में काफी समय से सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस लॉन्च होने का इंतजार किया जा रहा है. एलन मस्क की स्टारलिंक और जियो समेत कई कंपनियों ने इसके लिए सरकार के पास आवेदन किया हुआ है और उन्हें प्रोविजनल स्पेक्ट्रम भी मिल गए हैं, लेकिन लॉन्चिंग का इंतजार लंबा होता जा रहा है. अब खुद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया है कि इस सर्विस के लॉन्च होने में देरी क्यों हो रही हैं. आइए जानते हैं कि उन्होंने इसके पीछे क्या कारण बताए हैं.

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इन वजहों से अब तक लॉन्च नहीं हो पाई सर्विस

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिंधिया ने कहा कि जब तक स्टारलिंक और दूसरी कंपनियां सिक्योरिटी एजेंसियों द्वारा शर्तों को पूरा नहीं कर लेतीं, यह सर्विस रोल आउट नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि वनवेब, स्टारलिंक और रिलायंस जियो को सिक्योरिटी क्लियरेंस लेने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना होगा कि यूजर्स का डेटा भारत में रहे. सरकार ने इन कंपनियों को प्रोविजनल स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिए हैं और ये कंपनियां सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं. अभी यह प्रोसेस जारी है. साथ ही उन्होंने कहा कि दूरसंचार विभाग और टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) मिलकर स्पेक्ट्रम प्राइसिंग को फाइनल करने में लगे हुए हैं.

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प्राइसिंग को लेकर नहीं बन रही एक राय

रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि दूरसंचार विभाग और TRAI के बीच स्पेक्ट्रम की प्राइसिंग को लेकर एक राय नहीं बन रही है. दूरसंचार विभाग ने सालाना स्पेक्ट्रम फीस को 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने और शहरी इलाकों में हर कनेक्शन पर 500 रुपये की फीस को हटाने समेत कई सुझाव दिए थे, जिन्हें TRAI खारिज कर चुकी है. अभी दूरसंचार विभाग डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन (DCC) के सामने अपनी बात रखेगा, जिसे सुनने के बाद DCC तय करेगा कि स्पेक्ट्रम की प्राइसिंग के लिए अगला कदम क्या उठाना चाहिए. यहां से प्रोसेस पूरी होने के बाद मंजूरी के लिए इसे केंद्रीय कैबिनेट के पास भेजा जाएगा.

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