New SIM Rules: भारत में हर साल साइबर ठगी के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. करोड़ों- अरबों रुपये की ठगी के साथ-साथ कई लोगों की जिंदगी तक तबाह हो चुकी है. कई मामलों में लोग अपनी जमा-पूंजी गंवाने के बाद टूट चुके हैं. ज्यादातर ऐसे अपराध विदेशों से ऑपरेट किए जा रहे हैं जिससे सरकार और रेगुलेटरी एजेंसियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन गया है.

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साइबर सुरक्षा को मजबूत करने में जुटीं सरकारी एजेंसियां

साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए RBI, NPCI और TRAI लगातार नए नियम और तकनीकी बदलाव ला रहे हैं. हाल ही में NPCI ने UPI के उस फीचर को बंद कर दिया जिसके जरिए ठग रिक्वेस्ट मनी भेजकर लोगों को झांसे में लेते थे. वहीं TRAI ने SIM कार्ड से जुड़े KYC नियमों को और सख्त किया है और प्रमोशनल कॉल्स के लिए अलग नंबर सीरीज अनिवार्य कर दी है.

इसके अलावा RBI और TRAI मिलकर एक ऐसे डिजिटल सिस्टम पर काम कर रहे हैं, जिससे बैंक ग्राहक पहले दी गई प्रमोशनल कॉल और मैसेज की मंजूरी को देख, मैनेज और रद्द कर सकेंगे.

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2026 में लागू होंगे ये बड़े साइबर सुरक्षा बदलाव

सरकार और रेगुलेटर्स अब ऐसे उपायों की तैयारी में हैं जो आम मोबाइल यूज़र्स को ठगी से बचाने में अहम भूमिका निभाएंगे. इनमें दो बड़े बदलाव सबसे ज्यादा चर्चा में हैं.

CNAP: अब हर कॉल पर दिखेगा कॉल करने वाले का नाम

ज्यादातर साइबर ठग खुद को बैंक अधिकारी, सरकारी कर्मचारी या किसी जान-पहचान वाले के रूप में पेश करते हैं. इसी धोखे को खत्म करने के लिए TRAI ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को Caller Name Presentation यानी CNAP लागू करने का निर्देश दिया है.

CNAP के तहत किसी भी कॉल पर यूज़र की स्क्रीन पर कॉल करने वाले का सत्यापित नाम दिखाई देगा. यह नाम उसी KYC डेटा से लिया जाएगा, जो SIM खरीदते समय दिया गया था. फिलहाल यह सिस्टम ट्रायल स्टेज में है और उम्मीद है कि 2026 की शुरुआत तक यह पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा.

SIM-बाइंडिंग

कई ठग WhatsApp और दूसरे मैसेजिंग ऐप्स पर भारतीय नंबरों का इस्तेमाल करते हैं और काम खत्म होते ही SIM कार्ड फेंक देते हैं ताकि उन्हें ट्रैक न किया जा सके. इसी समस्या को रोकने के लिए दूरसंचार विभाग ने SIM-बाइंडिंग को अनिवार्य करने का फैसला लिया है.

SIM-बाइंडिंग लागू होने के बाद किसी भी मैसेजिंग ऐप को इस्तेमाल करने के लिए उस नंबर की फिजिकल SIM उसी फोन में होना जरूरी होगा. बिना SIM के ऐप काम नहीं करेगा. नवंबर में DoT ने कंपनियों को इसके लिए 90 दिन का समय दिया था जिससे माना जा रहा है कि 2026 तक यह नियम पूरी तरह लागू हो जाएगा.

क्या बदलेगा आम यूजर के लिए?

इन नए नियमों के लागू होने के बाद फर्जी कॉल और मैसेज के जरिए होने वाली ठगी पर काफी हद तक रोक लग सकती है. कॉल करने वाले की पहचान साफ दिखेगी और मैसेजिंग ऐप्स का गलत इस्तेमाल करना ठगों के लिए मुश्किल हो जाएगा. 2026 मोबाइल यूज़र्स के लिए डिजिटल सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है.

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