नई दिल्ली: इंटरनेट आधारित समाज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बिजली और इंटरनेट के जैसी ही एक बड़ी तकनीकी छलांग माना जा रहा है. वहीं कोरोना संकट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ज़रूरतों को नए मायने दे दिए हैं. ऐसे में भारत अगले सप्ताह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर एक बड़े वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है.  ' रेज 2020' नामक इस सम्मेलन का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे.


रिस्पॉन्सिबल AI फॉर सोशल एम्पावरमेंट (RAISE 2020) का आयोजन 5-7 अक्टूबर को किया जाएगा. इस दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करने वाले महारथी, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और स्मार्ट मोबिलिटी समेत क़ई अन्य क्षेत्रों में सामाजिक सशक्तिकरण, समावेशन और परिवर्तन के लिए एआई के इस्तेमाल पर चर्चा करेंगे. वैश्विक बैठक में सरकारी प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों के अलावा तकनीकी धुरंधर जमा होंगे. साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले कुछ रोचक स्टार्ट-अप भी शरीक होंगे.


प्रधानमंत्री मोदी यह कह चुके हैं कि वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भारत में सामाजिक समानता और गरीबी उन्मूलन के लिए प्रभावी औजार की तरह देखते हैं. गत वर्ष एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि प्रौद्योगिकी के बारे में घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह एक पुल है जो लोगों को बांटती नहीं बल्कि जोड़ती है. अक्सर तकनीक को लेकर भय दिखाया जाता है. यदि मानव का इरादा अच्छा है, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस देश के लिए समृद्धि का दरवाजा खोल सकता है.


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