What is D2M Technology: भारत के फीचर फोन यूज़र्स के लिए अब बड़ा बदलाव आने वाला है. जल्द ही ऐसे फीचर फोन जिनकी कीमत सिर्फ 2000–2500 रुपये के बीच होती है बिना किसी इंटरनेट डेटा के लाइव स्पोर्ट्स, फिल्में और वेब सीरीज़ देख सकेंगे. यह सुविधा Direct-to-Mobile (D2M) ब्रॉडकास्टिंग तकनीक के ज़रिए संभव होगी जिसे Saankhya Labs के विशेष चिपसेट से सक्षम बनाया जा रहा है.
इस तकनीक को प्रसार भारती के इंफ्रास्ट्रक्चर का मजबूत समर्थन मिलेगा और इसे पूरे देश में विस्तार दिया जाएगा. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके चलते Jio और Airtel जैसी टेलीकॉम कंपनियों की डेटा आय पर बड़ा असर पड़ सकता है. दिल्ली और बेंगलुरु में D2M के शुरुआती ट्रायल पहले ही शुरू हो चुके हैं.
D2M क्या है और कैसे काम करता है?
D2M यानी Direct-to-Mobile एक ऐसी ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी है जो स्मार्टफोन या फीचर फोन तक मल्टीमीडिया कंटेंट सीधे पहुंचाती है वह भी बिना किसी एक्टिव इंटरनेट कनेक्शन के. कम्युनिकेशन मंत्रालय के अनुसार इस तकनीक के फायदे हैं मोबाइल-फोकस्ड कंटेंट डिलीवरी, रियल-टाइम और ऑन-डिमांड सर्विस, हाइब्रिड ब्रॉडकास्ट, इंटरएक्टिव फीचर्स.
पहले D2M का इस्तेमाल आपदा प्रबंधन और इमरजेंसी अलर्ट भेजने में किया जाता था. लेकिन इसका असली उपयोग इससे कहीं आगे निकल सकता है. सरकार कह चुकी है कि D2M नेटवर्क बैंडविड्थ पर दबाव घटा देगा जिससे दूरदराज़ इलाकों में भी लोग बिना इंटरनेट के सीधा ब्रॉडकास्ट प्राप्त कर सकेंगे. यह तकनीक 5G नेटवर्क की भीड़ को कम करने में भी मदद कर सकती है.
D2M कैसे काम करता है?
D2M का काम करने का सिद्धांत FM रेडियो जैसा ही है जहां रेडियो ट्रांसमीटर सिग्नल भेजता है और डिवाइस में मौजूद रिसीवर उसे पकड़ लेता है. यह तकनीक Direct-to-Home (DTH) के मॉडल से भी मिलती-जुलती है, जहां सैटेलाइट से सिग्नल डिश के माध्यम से सेट-टॉप बॉक्स तक पहुंचते हैं.
हालांकि IIT कानपुर की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा समय में ज़्यादातर मोबाइल फोन D2M सपोर्ट नहीं करते. इन्हें सक्षम बनाने के लिए अलग बेसबैंड प्रोसेसिंग यूनिट, लो-नॉइज़ एम्प्लीफायर, बेसबैंड फिल्टर्स, एंटीना और एक खास रिसीवर की आवश्यकता होगी.
यह भी पढ़ें: