केंद्र सरकार की मार्च 2025 तक स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स के लिए यूएसबी टाइप-सी (USB TYPE-C) को स्टैंडर्ड चाजिर्ंग पोर्ट (standard charging port) के रूप में अपनाने की योजना का देश के 90 प्रतिशत यूजर्स ने समर्थन किया है. एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. ऑनलाइन कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 में से सात उपभोक्ताओं या यूजर्स का मानना है कि अलग-अलग डिवाइस के लिए अलग-अलग चार्जर कंपनियों को ज्यादा एसेसरीज बेचने में सक्षम बनाते हैं.


ई-कचरे को कम करना है मकसद


रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ छह फीसदी उपभोक्ताओं ने कहा कि मौजूदा सिस्टम ठीक है, जहां अलग-अलग स्मार्टफोन और टैबलेट में अलग-अलग चार्जिंग केबल (charging cable) होते हैं, चाहे कंपनी कोई भी हो. ई-कचरे को कम करने के लिए प्रति घर चार्जर की संख्या कम करने के मकसद से भारत के जल्द ही कॉमन चार्जिंग पोर्ट पर एक उपभोक्ता मामलों की समिति की सिफारिशों को अपनाने की संभावना है. यूरोपीय संघ पहले ही जून 2025 तक इस तरह की व्यवस्था को अपनाने का फैसला कर चुका है.


एक ही यूएसबी चार्जिंग केबल होना चाहिए


रिपोर्टों के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा डीईआईटीवाई (DEITY) को सिफारिशें भेज दी गई हैं, जिसके जल्द ही रूपरेखा को नोटिफाई करने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 78 फीसदी उपभोक्ताओं ने सभी स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए एक ही यूएसबी चार्जिंग केबल (standard charging Cable) होना चाहिए. निष्कर्ष बताते हैं कि ज्यादातर भारतीय उपभोक्ता इस बात से नाखुश हैं कि स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे विभिन्न के लिए डिवाइस अलग-अलग चार्जिंग केबल हैं, और उनका मानना है कि ब्रांड एसेसरीज की बिक्री बढ़ाने के लिए ऐसा करते हैं. चूंकि ब्रांडों द्वारा बनाए गए चाजिर्ंग केबलों की कीमत ज्यादा होती है, इसलिए अधिकांश लोग जेनरिक वर्जन खरीदते हैं.


माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में देश में एक ही प्रकार के चार्जर (standard charging port) होंगे. हालांकि, फिलहाल भारत में सस्ते चार्जर का मार्केट भी काफी बड़ा है. बाहरी देशों से भी ऐसे चार्जर बड़ी संख्या में आयात किए जाते हैं. 


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