भारत के जेन-जी यूजर्स को दूसरी भाषाओं का ट्रांसलेटेड कंटेट खूब पसंद आ रहा है. यूट्यूब की एंड-ऑफ-ईयर रिपोर्ट से पता चला है कि भारत के 4 में 3 जेन-जी यूजर्स दूसरी भाषाओं का कंटेट देख रहे हैं. इसमें बताया गया है कि 77 प्रतिशत ऐसे यूजर्स ने दूसरी भाषाओं से ट्रांसलेटेड या डब्ड कंटेट देखा, जबकि 68 प्रतिशत ने यूट्यूब वीडियो के जरिए सीखी लैंग्वेज या फ्रेजेज को अपनी आम बोलचाल में शामिल किया है. करीब 76 प्रतिशत जेन-जी यूजर्स इंटरनेशनल इवेंट्स के बारे में जानने के लिए यूट्यूब का सहारा ले रहे हैं. 

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MrBeast की बल्ले-बल्ले

रिपोर्ट के अनुसार, जेन-जी यूजर्स को पॉपुलर कंटेट क्रिएटर MrBeast का कंटेट खूब पसंद आ रहा है. MrBeast के वीडियो 7 अलग-अलग भाषाओं में अवेलेबल है और इस चैनल को भारत से 4.7 करोड़ सब्सक्राइबर्स मिले हैं. इससे पता चलता है कि अब यूट्यूब पर कंटेट लैंग्वेज की बाउंड्री में बंधा नहीं है और क्रिएटर और स्टूडियो अपने कंटेट को अलग-अलग भाषाओं के हिसाब से तैयार कर रहे हैं. कई भारतीय कंटेट विदेशों में भी पॉपुलर हो रहे हैं तो कई और विदेशी क्रिएटर्स को भारत में अपनी ऑडियंस मिल रही है. रिपोर्ट में राज शमानी और सेजल गाबा जैसे क्रिएटर्स का भी जिक्र किया गया है, जो यूट्यूबर से एंटरप्रेन्योर्स बन रहे हैं. 

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एआई से हो रहा क्रिएटर्स को फायदा

एआई के आने से क्रिएटर्स को काफी फायदा हो रहा है. इस टेक्नोलॉजी की मदद से उनके लिए वीडियो प्रोडक्शन आसान हो गया है. यूट्यूब की इंस्पिरेशन टैब, एडिट विद एआई और ऑटो-डबिंग जैसे फीचर की मदद से अब वीडियो बनाने का समय कम गया है. ऑटो-डबिंग फीचर यूजर को बिना अधिक इनवेस्टमेंट के पूरी दुनिया तक पहुंचने का मौका देता है. यूट्यूब के डेटा दिखाता है कि भारत के डिजिटल कंटेट स्पेस में अगले साल भाषा और जियोग्राफी का अंतर और कम होगा. इसके लिए क्रिएटर को अपनी कल्चरल आइडेंटिटी छोड़े बिना अपने कंटेट को सारी भाषाओं तक ले जाना होगा. 

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