भारत सरकार ने देश में पर्सनल डेटा की प्रोसेसिंग, प्रोटेक्शन और गवर्नेंस को रेगुलेट करने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन रूल्स, 2025 को नोटिफाई कर दिया है. इसके साथ ही डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के लागू होने का रास्ता साफ हो गया है. डेटा फिड्यूशरीज, कन्सेंट मैनेजर और यूजर के प्राइवेसी राइट्स को सुरक्षित करने के लिए इन नियमों से नई गाइडलाइंस सेट हो सकेंगी. इसके कई प्रोविजन तुरंत प्रभाव से लागू हो जाएंगे, जबकि कुछ के लिए 12-18 महीनों का समय दिया गया है. इस तरह देखा जाए तो यह चरणबद्ध तरीके से लागू होगा.

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डेटा फिड्यूशरीज को किया गया डिफाइन्ड

नियमों के मुताबिक, पर्सनल डेटा को कलेक्ट और प्रोसेस करने वाली कंपनियों और प्लेटफॉर्म को डेटा फिड्यूशरी माना जाएगा. वहीं जिस यूजर का डेटा प्रोसेस हो रहा है, वह डेटा प्रिंसिपल है. इसके अलावा कंसेंट मैनेजर एक ऑथोराइज्ड और न्यूट्रल इंटरमीडियरी है, जो यूजर को परमिशन मैनेज करने देगा.

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डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनेगा

नोटिफिकेशन के मुताबिक, भारत में डेटा लीक और नियमों के पालन आदि को देखने के लिए चार मेंबर्स का डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनेगा. साथ ही इन नियमों से डेटा लीक की जानकारी देने की टाइमलाइन भी स्पष्ट हो गई है. सभी डेटा फिड्यूशरीज को पर्सनल डेटा लीक होने के 72 घंटों के भीतर बोर्ड को जानकारी देनी होगी, जबकि प्रभावित यूजर्स को इसकी जानकारी बिना किसी देरी के देना अनिवार्य किया गया है.

माइनर से जुड़े डेटा को लेकर सख्ती

सरकार के बच्चों के डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्ती बरती है. सभी प्लेटफॉर्म्स को पैरेंट्स से कन्सेंट लेनी होगी और वो एडवरटाइजिंग दिखाने या प्रोफाइलिंग के लिए माइनर यूजर्स को ट्रैक नहीं कर सकेंगे. हालांकि, सरकारी संस्थाओं को कुछ मामलों में राहत मिली है, लेकिन उन्हें भी पूरी तरह दायरे से बाहर नहीं रखा गया है. इसके अलावा सरकार ने भारतीय यूजर्स के डेटा को हैंडल कर रही किसी भी कंपनी को बुलाने की शक्ति अपने पास रखी है. कुछ मामलों में अगर सरकार को लगता है कि डेटा लीक की जानकारी यूजर को देने से जोखिम बढ़ सकता है वो फिड्यूशरी को यह जानकारी देने से रोक सकती है. 

तीन साल बाद डिलीट हो जाएगा इनएक्टिव यूजर्स का डेटा

नए नियमों के मुताबिक, फिड्यूशरीज को अब तीन साल बाद इनएक्टिव यूजर्स का पर्सनल डेटा डिलीट करना पड़ेगा. हालांकि, कानूनन जरूरत होने पर वो इससे ज्यादा समय तक डेटा स्टोर कर सकेंगी. साथ ही उन्हें एक साल का डेटा लॉग्स रखना पड़ेगा, जिसमें कन्सेंट, डिस्क्लोजर, प्रोसेसिंग एक्टिविटी और विदड्रॉल एक्शन की जानकारी होनी चाहिए.

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